छत्तीसगढ़ में इस बार अभी से ही आम के पेड़ों पर बौर लद चुके हैं. इसलिए किसानों तथा आसपास के कारोबारियों को इस बार पिछले साल से भी अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है. छत्तीसगढ़ का जिला जशपुर आम की खेती के लिए काफी मशहूर है. दरअसल पिछले कुछ सालों में आम की फसल काफी कम हुई है. साथ ही तेज हवा और बारिश के चलते बौर झड़ गए थे और क्षेत्र के लोग आम के स्वाद से पूरी तरह से वंचित रह गए थे. यही कारण है कि आम की खेती वाले किसानों के चेहरे पर काफी ज्यादा खुशहाली है.
मजदूर करते हैं रखवाली
चूंकि जिले में आम की काफी अच्छी खेती हो रही है इसीलिए यहां के किसान और कारोबारी दोनों ही काफी ज्यादा खुश हैं और वह खेती को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नजर नहीं आ रहे हैं. शहर के आसपास की बात करें तो जुरगुम, नीमगांव, मनोरा, सन्ना, आस्ता, कुनकुरी आदि जगह पर आम के बगीचे है. पेड़ों को नुकसान न हो उसके लिए मजदूरों को रखा गया है और आम के पेड़ों की निगरानी की जा रही है. पक्षियों को दूर रखने के लिए मजदूर रखे गए है ताकि खेतों को नुकसान न हो.
आम का रकबा बढ़ा
यहां पर देसी के अलावा हाईब्रीड के आम जैसे कि चौसा, लगड़ा, दसहरी, फजहील, हिमसागर, गुलाबखास, बाबे ग्रीन जैसी उन्नत प्रजातियों के आमों का बेहतर उत्पादन होता है. देसी आमों की खपत केवल स्थानीय बाजारों में ही हो पाती है. उच्च प्रजाति के आम, किसान अन्य क्षेत्रों में उगाने का कार्य यहां कर रहे है. अच्छे उत्पादन से आम के रकबे में बढ़ोतरी हो रही है और मौसम के साफ रहने पर रकबे के बढ़ने की संभावना है.
मौसम पर निर्भर है फसल
किसान रोहित का कहना है कि हाईब्रिड और देसी आम के पेड़ों में इस साल अच्छी बौर होने के कारण इस बार उन्हें अच्छी आम की पैदावार होने की उम्मीद है. यदि आगे भी मौसम अच्छा रहा तो पैदावर बेहतर ही होगी. उद्यानिकी सहायक संचालक का कहना है कि किसानों को बौर में लगने वाले फंगस से बचाने के लिए घुलनशील द्रव केआम छिड़काव का भी सुझाव दिया जाता है.
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