1. Home
  2. खेती-बाड़ी

सितंबर में करें मटर की अगेती खेती, होगी अच्छी आमदनी

मटर एक दलहनी फसल है जिसकी अगेती खेती करके आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह या अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई की जा सकती है. सबसे अच्छी बात यह है कि मटर की अगेती फसल महज 50 दिन में तैयार हो जाती है. इसके चलते मटर की खेती के बाद अन्य फसल भी समय रहते की जा सकती है. तो आइए जानते हैं मटर की अगेती खेती की पूरी जानकारी-

श्याम दांगी

मटर एक दलहनी फसल है जिसकी अगेती खेती करके आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह या अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई की जा सकती है. सबसे अच्छी बात यह है कि मटर की अगेती फसल महज 50 दिन में तैयार हो जाती है. इसके चलते मटर की खेती के बाद अन्य फसल भी समय रहते की जा सकती है. तो आइए जानते हैं मटर की अगेती खेती की पूरी जानकारी-

जलवायु एवं मिट्टी

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, मटर की खेती के लिए मटियार दोमट और हल्की दोमट मिट्टी अति उत्तम होती है. इसकी खेती हेतु मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना चाहिए. जबकि बीज के अंकुरण के लिए तापमान 22 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. हालांकि मटर की अच्छी पैदावार के लिए तापमान 10 से 18 डिग्री सेल्सिस उचित माना गया है. बता दें कि अम्लीय मिट्टी की जमीन मटर की खेती के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है. ऊसर भूमि में भी इसकी खेती नहीं की जा सकती है.

भूमि की तैयारी

खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. इसके बाद दो-तीन बार कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें. वहीं प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मटर की खेती के लिए 20 टन सड़ी गोबर की खाद, 70 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलो नाइट्रोजन और 50 किलोग्राम पोटाश उपयुक्त होता है. मटर की अच्छी पैदावार लेना चाहते हैं तो नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग कम से कम करना चाहिए. इसके अधिक उपयोग से स्थिरीकरण और गांठों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है. वहीं प्रति हेक्टेयर 90 से 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. बता दें बुवाई से पहले मटर को बीज जनित रोगों से बचाव के लिए अनुशंसित कीटनाशक से शोधन करना चाहिए.

जानिए कौन सी है मटर की अगेती प्रजातियां-

1. काशी नंदिनी- मटर की इस प्रजाति को 2005 में विकसित किया गया था. इससे प्रति हेक्टेयर 110 से 120 क्विंटल मटर का उत्पादन किया जा सकता है. पंजाब, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और केरल में इसकी खेती की जाती है.

2. काशी उदय- काशी नंदिनी की तरह इस प्रजाति को भी 2005 में विकसित किया गया. मटर की इस किस्म की खास बात यह है कि इसकी फली 9-10 सेंटीमीटर लंबी होती है. इस किस्म को उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में बोया जाता है. उत्पादन की बात की जाए तो प्रति हेक्टेयर 105 क्विंटल पैदावार ली जा सकती है.

3. काशी मुक्ति- मटर की इस किस्म की देश ही नहीं विदेशों में भी मांग होती है. इसकी वजह है इसकी फलियां और दाने काफी बड़े होते हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पंजाब राज्य की जलवायु और मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है. प्रति हेक्टेयर 115 क्विंटल की पैदावार इससे ली जा सकती है.

4. काशी अगेती- यह मटर की काफी नई किस्म है. इसे 2015 में वैज्ञानिकों ने विकसित किया था. इसकी खास बात यह है कि यह महज 50 दिन में तैयार हो जाती है. इसके पौधे की लंबाई 58-61 सेंटीमीटर होती है. प्रति पौधे से 9 से 10 फलियां प्राप्त होती है. हालांकि इसकी पैदावार अन्य किस्मों से थोड़ी कम होती है. प्रति हेक्टेयर 95 से 100 क्विंटल की पैदावार होती है.

English Summary: the right time for the cultivation of green peas and earn good profits Published on: 07 September 2020, 06:06 PM IST

Like this article?

Hey! I am श्याम दांगी. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News