बता दें इसके पौधे झाड़ियों के जैसे होते है, जिनकी लम्बाई 3 फीट तक होती है, जो हमारे शरीर में कई तरह के रोगों को खत्म करता है. इसलिए इसे खानें वाले लोग हमेशा इसे बाजारों में ढूंढते रहते है और इसकी मांग भी बाजारों में हमेशा रहती है. जुकिनी एक ऐसी सब्जी है जो खाने में स्वादिष्ट तो होती ही है साथ ही पौष्टिक भी होती है. इसमें पानी की मात्रा बहुत होती है. इसलिए इसे गर्मियों में खाना बहुत पसंद किया जाता है. इसे खाने से आंखों की परेशानी, उम्र के कारण होने वाले दाग-धब्बे, हड्डियों को मजबूत करने, बीपी नियंत्रण, ब्लड फ्लो बनाए रखने और टाइप-2 डायबीटीज, पाचन आदि में मदद मिलती है. तो आइये जानते हैं इसकी खेती के बारे में..
जलवायु और मिट्टी
जुकिनी गर्म जलवायु की फसल है. इसलिए इसकी खेती ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों में होती है. जहां तापमान 20-40 डिग्री सेल्सियस होती है, वहां खेती आसानी से की जा सकती है. ध्यान रखें जुकिनी की फसल ज्यादा ठंड और पाला सहन नहीं कर सकती है. खेती के लिए ज्यादा पोषक तत्वों वाली मिट्टी की जरुरत नहीं होती, फिर भी अच्छी और उपजाऊ मिट्टी में खेती की जाए तो उपज अच्छी मिलती है. दोमट मिट्टी का पीएच मान 6.5 के आसपास हो तो खेती बेहतर होती है.
मिट्टी जांच-
जुकिनी की खेती के पहले मिट्टी की जांच जरूर करें. क्योंकि मिट्टी जांच के साथ ही पता चल जाएगा कि जुकिनी की खेती कैसे मिट्टी में की जा सकती है. इसके साथ ही यदि मिट्टी की जांच की जाए तो फसल अच्छी जरूर होगी.
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खेत की तैयारी
जुकिनी की खेती के लिए खेत में अच्छी जुताई कर लेनी चाहिए. 3 से 4 बार जुताई करने से भूमि खेती के लिए अच्छी होती है.
सिंचाई
जुकिनी की बोवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें. चूंकि यह ग्रीष्मकालीन फसल है, इसलिए हर हफ्ते इसे सिंचाई की जरूरत पड़ती है और यदि आप दूसरे मौसम में खेती करना चाहते हैं तो इसे पाले से जरूर बचाएं.
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