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छत्तीसगढ़ मे नहीं बढ़ पा रही है स्ट्रॉबेरी की पैदावार

ठंडे प्रदेशों में अधिक स्ट्रॉबेरी की पैदावार होने से छत्तीसगढ़ में इसकी खेती नहीं हो पा रही है जिससे यहां पर इसकी पैदावर प्रभावित हुई है. दरअसल पिछले कई दिनों से यहां का तापमान पूरी तरह से संतुलित नहीं हो पा रहा है जिसके चलते इसका असर स्ट्रॉबेरी पर पड़ रहा है.

किशन

ठंडे प्रदेशों में अधिक स्ट्रॉबेरी की पैदावार होने से छत्तीसगढ़ में इसकी खेती नहीं हो पा रही है जिससे यहां पर इसकी पैदावर प्रभावित हुई है. दरअसल पिछले कई दिनों से यहां का तापमान पूरी तरह से संतुलित नहीं हो पा रहा है जिसके चलते इसका असर स्ट्रॉबेरी पर पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में वैज्ञानिकों ने वहां पर मौजूद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च केंद्र में यूरोपीय स्ट्रॉबेरी की 14 किस्मों पर दो साल बाद अनुसंधान के बाद बड़ी सफलता पाई थी. सबसे ज्यादा सफलता वैज्ञानिकों को नाबिला और कामारोजा में मिली है. शुरूआती पैदावर पर विचार करें तो राज्य में इनकी पैदावार काफी ज्यादा रही है. साथ ही पूरे प्रदेश में ये दोनों प्रजातियां चर्चा का विषय भी बनी रही है. पहले वर्ष के मुकाबले तापमान का पूरा असर फसल पर पड़ा है. इसकी वजह से स्ट्रॉबेरी की खेती ठीक समय से तैयार नहीं हो पाई है.

वैज्ञानिक रह गए थे दंग

दरअसल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में वैज्ञानिक ने खुले रूप से स्ट्रॉबेरी पर खुले में शोध करके कुल 600 मीटर स्वाक्यर में स्ट्रॉबेरी की खेती की थी. चूंकि यहां पर स्ट्रॉबेरी की काफी अच्छी पैदावर हुई है. इसीलिए इस बात से खुद वैज्ञानिक भी अचंभित रह गए थे. इनमें 50 से 70 ग्राम तक फलों के उत्पादन होने से वहां के कृषि वैज्ञानिकों ने भारी मात्रा में उत्साहित होकर खुशी को जाहिर किया था. बाहर से प्रदेश में जो भी स्ट्रॉबेरी आती है, उनका वजन केवल 20 से 30 ग्राम ही होता है. जो काफी कम है.

स्ट्रॉबेरी है शीतोष्ण जलवायु फल

स्ट्रॉबेरी एक स्वादिष्ट फल है जो कि शीतोष्ण जलवायु में होता है. इसमें छत्तीसगढ़ के कई जिले जैसे रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतरी, धमतरी, गारियाबंद और महासमुंद में नबंवर से मार्च महीने के बीच किसान इस तरह की स्ट्रॉबेरी की पैदावार करते हैं. अब फरवरी का महीना चल रहा है और धीरे-धीरे गर्मी का सीजन भी पास आ रहा है इसीलिए अभी कम गर्मी में सफलता मिल रही है. स्ट्रॉबेरी के पौधों को ठीक तरह से उगने के लिए 16 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता है. अगर तापमान आने वाले समय में बढ़ता है तो इन पौधों को सीधा नुकसान होता है और उनका उत्पादन भी प्रभावित हो जाता है. इसीलिए स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंड के मौसम को चुना जाता है.

बेहतर प्रजाति की होती है स्ट्रॉबेरी

वैज्ञानिकों का कहना है कि शोध में यह बात साबित हुई कि स्ट्रॉबेरी की यह पैदावर काफी अच्छी है और वह खाने में बेहद ही स्वादिष्ट है. अभी कुछ कारणों के चलते उतनी फसल और पैदावार नहीं हो पाई है जितनी पहले उम्मीद थी.

English Summary: Strawberry yields not growing in Chhattisgarh Published on: 25 February 2019, 02:09 PM IST

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