बसंत ऋतु में मौसम काफी सुहाना होता है, क्योंकि इस दौरान एक ऋतु खत्म तो दूसरी ऋतु का आगमन होता है. इसका असर हमारे वातावरण पतझड़ के रुप में देखने को मिलता है. मौसम की तरह ही पेड़ों से पुरानी पत्तियां गिरती हैं, तथा नए पत्ते आने लगते हैं. इस दौरान जब पौधे और पेड़ों से पत्ते पनपने लगते हैं तो पत्तियों में कीट का हमला भी तेजी के साथ देखने को मिलता है. तो वहीं यदि वक्त रहते ध्यान न दिया जाए तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है. इससे निपटने के लिए आज इस लेख के माध्यम से हम किसानों को जानकारी देने जा रहे हैं.
लीफहॉपर का संक्रमण
लीफ हॉपर्स पौधों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इस प्रकार के रोग हनीड्यू नामक मीठा तरल अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं. दिखने में यह शहद जैसा होता है, जो कि पत्तियों को काला कर देता है. पौधों पर कालिख होना इस बात का संकेत है कि आपका पौधा लीफहॉपर से जुझ रहा है.
आम की फसल पर होता है अधिक असर
जैसा कि आम गर्मियों का एक मुख्य फल है. आम के वृक्ष में अब कुछ वक्त बाद फल आने शुरू हो जाएंगे, ऐसे में पेड़ों में कीट के प्रकोप का खतरा काफी हद तक बना रहता है. पेड़-पौधों की पत्तियों में कीट लगने से इसका असर पूरी फसल उत्पादन में देखने को मिलता है. ऐसे में किसानों को अपने आम के पेड़ को बचाने के लिए हर प्रकार के संभव प्रयास करने चाहिए.
जैविक तरीके से ऐसे रोकें लीफहॉपर
लीफहॉपर के लक्षण पेड़-पौधों में दिखने लगे तो आपको इसे रोकने के लिए तुरंत कोई सख्त कदम उठाने चाहिए. आप जैविक तरीके से इसकी रोकथाम के लिए उपाय कर सकते हैं. इसके लिए आप लहसुन के अर्क यानि कि तेल का छिड़काव कर सकते हैं. यह बेहद सस्ता और घरेलु उपाय है.
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लहसुन का अर्क कैसे बनाएं
लहसुन का अर्क बनाने के लिए सबसे पहले 100 ग्राम लहसुन को बारिकी से काट लें. इसके बाद 1 या 2 दिन में कटे हुए लहसुन को 1/2 लीटर खनिज तेल में भिगों दें. अब इसमें आपको 10 मिलीग्राम तरल साबुन मिलाना होगा. इन सबको अच्छे से मिलाने के बाद इसमें 10 लीटर पानी मिला लें फिर इसे छान लें. अब इसे आपको लगातार हिलाते रहना है, ताकि इससे तेल अलग ना हो पाए. बता दें कि इस घोल से ना सिर्फ लीफहॉपर को प्रतिबंधित किया जा सकता है, बल्कि स्क्वैश के कीट, सफेद मक्खी, गोभी पर लगने वाले कीटों को भी खत्म किया जा सकता है.
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