देश के ज्यादातर राज्यों में मानसून दोबारा सक्रिया हो चुका है, जिसका असर सीधे किसान भाइयों पर देखने पर मिल रहा है. ऐसे में कृषि विभाग ने सोयाबीन की बुवाई करने वाले किसानों के लिए सलाह जारी की है.
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को यह सलाह दी है कि वे कम से कम 4 इंच बरसात होने के बाद ही अपने खेत में फसल की बुवाई शुरू करें.
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में मानसून (Monsoon) की बारिश होने से ज्यादातर किसानों ने 1 या 2 इंच बारिश में ही खेत में बुवाई शुरू कर दी है, जो फसल के उत्पादन के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है. इसके अलावा उनका यह भी कहना है कि बारिश होने के बाद किसानों के लिए सोयाबीन की बुवाई (Soybean sowing) जून के अंतिम दिनों से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय उपयुक्त माना गया है. अगर आप सोयाबीन की अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं, तो मानसून की बारिश (Monsoon rain) के लगभग 4 इंच होने पर ही बुवाई करना शुरू करें.
2 से 3 किस्मों की करें बुवाई (Sow 2 to 3 varieties)
बारिश होने के बाद किसान अपने खेत में सोयाबीन की अच्छी पैदावार (Good Soybean yield) प्राप्त करने के लिए निम्न किस्मों की बवाई करें.
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जेएस 95-60, 93-05,
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नवीन किस्में जेएस 20-34
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20-29 आरवीएस 2001-04
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एनआरसी-86
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जेएस-9752 किस्में आदि
ऐसे करें सोयाबीन की बुवाई (Sowing of Soybean)
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सर्वप्रथम किसानों को बुवाई से पहले बीजों का उपचार अच्छे से करना चाहिए.
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इसके बाद खेत में जहां आपको मोजेक की समस्या दिखाई दे, उसके रोकथाम के लिए तुरंत कीटनाशक व कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर उपचार करें.
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खेत में अच्छे किस्म के बीज को 75-80 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई करना शुरू करें. अगर संभव हो सके, तो अपने खेत में बीजों की बुवाई रेज्ड बैड विधि से करें.
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खेत में कतार की दूरी का भी ध्यान रखें. बीजों की आपसी दूरी 14-18 इंच तक रखें.
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अगर आप इस तरह से अपने खेत में सोयाबीन की बवाई करते हैं, तो आपको फसल से अधिक नुकसान प्राप्त नहीं होता है.
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