भारत में अब खेती-किसानी उद्योग के स्तर पर ही की जा रही है, ऐसे में अच्छे व्यवसाय के लिए शीशम के पेड़ की खेती मुनाफेदार है. घर की सजावट के लिए काम आने वाले फर्नीचर और घर की जरूरत के लिए इस्तेमाल फर्नीचर में शीशम की लकड़ी का इस्तेमाल ज्यादा होता है. इसलिए शीशम की लकड़ी का व्यापारिक महत्व ज्यादा है. शीशम के लकड़ी का इस्तेमाल दरवाजे, खिड़की के फ्रेम, बिजली के बोर्ड, रेलगाड़ी के डब्बे आदि बनाने में भी की जाती है. इसके अलावा शीशम की पत्तियों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में भी की जाती है. इसलिए इसकी खेती दोहरे फायदे वाली है. ऐसे में जानते हैं इसकी खेती करने का तरीका-
जलवायु -शीशम के पेड़ की अच्छी बढ़वार के लिए तापमान का खास ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए औसत वार्षिक तापमान 4 से 45 सेल्सियस और वार्षिक वर्षा 500 से 4500 मिलीमीटर वाले क्षेत्रों में पौध रोपण करना चाहिए.
मिट्टी- शीशम की खेती के लिए रेतीली मिट्टी चाहिए होगी. जिसमें खेती करने के लिए उपयुक्त नमी हो और पीएच मान 5-7.7 हो. इसकी खेती तालाब के पास या जहां पानी हो वहां नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसी जगहों में पेड़ फफूंद से होने वाली बीमारियों का संकट होता है.
खेत की तैयारी- शीशम के पेड़ की खेती के लिए खेत तैयार करने के लिए उससे 3-4 बार अच्छे से जुताई करना चाहिए. जिससे खेत समतल हो जाए और खेत में पानी जमा ना हो.
बीज की तैयारी- एक एकड़ खेत में लगभग 70 ग्राम बीज के हिसाब से बीजों को 12-24 घंटे के लिए पानी में भींगो दें. उपचारित बीजों को पॉलिथीन बैग में (1 बैग में 2-3 बिग) उगाया जाता है. बीज की बुआई से 7-14 दिन में बीज अंकुरण हो जाता है. जब पौधा 10-20 सेंटीमीटर लंबा हो जाए तो उन्हें खेत में रोप दिया जाता है. बीज रोपने के लिए पॉलिथीन में मिट्टी और खाद की मात्रा 2:1 होनी चाहिए.
बुवाई- शीशम की खेती के लिए जनवरी-फरवरी में बीज इकट्ठा किए जा सकते हैं और पौधशाला में पौध फरवरी-मार्च में पौध सीधी बोआई, पौधारोपण या स्टंप रोपण या फिर वेजीटेटिव प्रोपेगेशन जैसे की कटिंग, कौपिस, रूट सकर तरीको से उगाई जाती है. शीशम को खेतों की मेंड़ों पर 4-4 मीटर की दूरी या खेतों के बीच में 3-3 मीटर की दूरी पर रोपनी चाहिए. क्योंकि यह धीरे धीरे बड़ा होता है इसलिए साथ में मक्का, मटर,अरंडी, सरसों, चना, गेहूं, गन्ना और कपास की खेती की जा सकती है.
सिंचाई- पहली सिंचाई पौध रोपण के तत्काल बाद और उसके बाद जरुरत के अनुसार समय-समय पर होनी चाहिए. जहाँ वर्षा नहीं होती या पानी की समस्या है वहां 10-15 सिचाई करना चाहिए.
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खेती से लाभ- वैसे तो शीशम के पेड़ों की आयु 25 से 35 साल की होती है. लेकिन 10 से 12 साल में ही पेड़ के तने की गोलाई 75 सेंटीमीटर और 30 साल तक 135 से 140 सेंटीमीटर के आसपास हो जाती है. बाजार में इसकी लकड़ी को अच्छी कीमत पर बेच सकते हैं.
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