बदलते हुए वक्त के साथ मिट्टी की सेहत खराब होते जा रही है. मुख्य तौर पर मिट्टी में खनिजों एवं पोषक तत्वों का अभाव होता जा रहा है, जिसकी भरपाई के लिए किसान बाजार की तरफ दौड़ता है और उसकी जेब पर भार बढ़ जाता है. ऐसे में मिट्टी को खाद प्रदान करने के लिए आप सनई की खेती कर सकते हैं. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
फलीदार फसल है सनई
सनई तेजी से उगने वाली एक तरह की फलीदार फसल है. मुख्य रूप से इसकी खेती रेशा और हरी खाद प्राप्त करने के लिए की जाती है. भारत में इसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, राज्यस्थान और उड़ीसा में होती है.
सनई के लिए मिट्टी
सनई की खेती लगभग हर तरह की मिट्टी में हो सकती है. हालांकि इसके लिए सबसे अनुकूल रेत वाली मिट्टी या चिकनी मिट्टी को माना गया है.
खेत की तैयारी
इसकी खेती से पहले ज़मीन की अच्छी तरह जोताई कर लें. मिट्टी को भुरभुरा बना लें और पाटा लगाकर ढ़क दें, जिससे खेतों में नमी बनी रहे.
बिजाई का समय
इसकी खेती के लिए बीजों की बुवाई अप्रैल से जुलाई के मुध्य होनी चाहिए. इसकी बिजाई छींटे द्वारा की जाती है.
सिंचाई
इसकी सिंचाई जरूरत अनुसार होनी चाहिए. बरसात के दिनों में इसे विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. बीज उत्पादन के समय या फूल आने के समय सिंचाई समय-समय पर होनी चाहिए.
कटाई
बीज उत्पादन के लिए फसल को बीजने के लगभग 5 महीनों बाद इसकी कटाई होनी चाहिए.
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