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अमरोहा के गुलाबों से महक रहा है संसद और राष्ट्रपति भवन

देश में औद्योगिक ईकाईयों के प्रदूषण से प्रभावित गजरौला कस्बे के नजदीक सिहाली जागीर की नर्सरी में तैयार किए गए गुलाब के फूलों से राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन महक रहा है. चंद किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़ देने के बाद नर्सरी के कारोबार को शुरू किया था. सिहाली जागीर में 90 फीसद किसान नर्सरी के कार्य को कर रहे है. यहां पर नर्सरी में फलदार पौधे और फूलों की ज्यादा मांग रहती है. इस नर्सरी में गुलाबी, सफेद, महरून, जामुनी, हरे, नीले, पीले औरेज और एरिका पाम, क्रोटन आदि फूलों के पौधे हर समय तैयार रहते है. नर्सरी के कारोबारी जहां पर परंपरागत खेती करने वाले किसानों से ज्यादा आमदनी ले रहे है. इसके साथ ही बेरोजगारों को रोजगार देने में भी नर्सरी का बेहतर कारोबार है. यहां पर नर्सरी में महिला और पुरूषों से ठेके पर कलम को तैयार कराने, थैली भरवाने, निराई और सिंचाई का काम लिया जाता है.

किशन
flowers

देश में औद्योगिक ईकाईयों के प्रदूषण से प्रभावित गजरौला कस्बे के नजदीक सिहाली जागीर की नर्सरी में तैयार किए गए गुलाब के फूलों से राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन महक रहा है. चंद किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़ देने के बाद नर्सरी के कारोबार को शुरू किया था. सिहाली जागीर में 90 फीसद किसान नर्सरी के कार्य को कर रहे है. यहां पर नर्सरी में फलदार पौधे और फूलों की ज्यादा मांग रहती है. इस नर्सरी में गुलाबी, सफेद, महरून, जामुनी, हरे, नीले, पीले औरेज और एरिका पाम, क्रोटन आदि फूलों के पौधे हर समय तैयार रहते है. नर्सरी के कारोबारी जहां पर परंपरागत खेती करने वाले किसानों से ज्यादा आमदनी ले रहे है. इसके साथ ही बेरोजगारों को रोजगार देने में भी नर्सरी का बेहतर कारोबार है. यहां पर नर्सरी में महिला और पुरूषों से ठेके पर कलम को तैयार कराने, थैली भरवाने, निराई और सिंचाई का काम लिया जाता है.

दिल्ली सहित देश भर में जाते है पौधे

यहां गुलाब और दूसरे फूल के पौधे देश की राजधानी दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, गुजरात, छ्ततीसगढ़ और झारखंड समेत देश के विभिन्न राज्यों तक जाते है. यहां नर्सरी के स्वामी शरह अग्रवाल का कहना है कि देश का राष्ट्रपति भवन और संसद भवन तक सिहाली के गुलाब के फूलों की खुशबू  से महक रहे है. बड़े घरानो के लोग परिवार सहित अपनी पसंद के पौधे खरीदने के लिए खुद नर्सरी में आ जाते है.

phul ki narsi

व्यापारी ले जाते है पौधे

यहां पर व्यापारी खुद ही पौधों को खरीदने के लिए आ जाते है. कुछ व्यापारी तो पहले से ही ऑर्डर देकर पौधों को अलग-अलग तरीकों से तैयार करवाते है. बाद में वह अपनी गाड़ी से इन पौधों को ले जाते है. नर्सरी कारोबारी  बातते है कि नर्सरी की खेती परंपरागत खेती से बेहतर होती है. इसमें कम मेहनत और आमदनी ठीक होती है.

English Summary: Rashtrapati Bhavan smelling of flowers in this district of Uttar Pradesh Published on: 11 August 2019, 06:38 PM IST

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