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नैनो उर्वरक का उपयोग कृषि व मानव के लिये वरदान या अभिशाप ?

नैनो टेक्नोलॉजी शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1974 में नॉरियो तानिगुची द्वारा किया गया था.हर वो कण जिसका आकर 100 नैनोमीटर या इससे छोटा हो नैनोकण माना जायेगा.आकर छोटा होने पर इन कणों की रसायनिक और भौतिक लक्षण/स्वभाव/विशेषता बदल जाता है.जिंक के नैनोकण बनाने पर ये पारदर्शी हो जाता है इत्यादि.विशिष्ट विशेषताओं के कारण नैनोकणों का अनुप्रयोग अत्यधिक बढ़ा है, उदाहरण के लिए, उपभोक्ता उत्पाद, कृषि, चिकित्सा संबंधी उपकरण एवं दवाएं, सौंदर्य प्रसाधन, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रकाशिकी, पर्यावरण, भोजन तथा पैकिंग, ईंधन, ऊर्जा, कपड़ा और पेंट, अगली पीढ़ी की दवा, प्लास्टिक, नैनो उर्वरक आदि में तेजी से बढ़ा है.

विवेक कुमार राय
Nano Fertilizer
Nano Fertilizer

नैनो टेक्नोलॉजी शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1974 में नॉरियो तानिगुची द्वारा किया गया था.हर वो कण जिसका आकर 100 नैनोमीटर या इससे छोटा हो नैनोकण माना जायेगा.आकर छोटा होने पर इन कणों की रसायनिक और भौतिक लक्षण/स्वभाव/विशेषता बदल जाता है.जिंक के नैनोकण बनाने पर ये पारदर्शी हो जाता है इत्यादि.

विशिष्ट विशेषताओं के कारण नैनोकणों का अनुप्रयोग अत्यधिक बढ़ा है, उदाहरण के लिए, उपभोक्ता उत्पाद, कृषि, चिकित्सा संबंधी उपकरण एवं दवाएं, सौंदर्य प्रसाधन, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रकाशिकी, पर्यावरण, भोजन तथा पैकिंग, ईंधन, ऊर्जा, कपड़ा और पेंट, अगली पीढ़ी की दवा, प्लास्टिकनैनो उर्वरक आदि में तेजी से बढ़ा है.

 नैनो-युग नब्बे के दशक के अंत में शुरू हुआ और 2014 तक नैनोकण का प्रयोग पर्यावरण क्षेत्र के लिए 23 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और अनुमान है कि 2020 तक ये आकंड़ा 42 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.यद्यपि नैनो शब्द एक नया शब्द प्रतीत होता है लेकिन यह क्षेत्र पूरी तरह से नया नहीं है.जब से धरती पर जीवन का प्रारम्भ हुआ तभी से निरंतर 3.8 अरब वर्षों से विकास के माध्यम से प्रकृति में परिवर्तन हो रहा है.

दुनिया की बढ़ती आबादी को खिलाने के लिए फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए नैनो उर्वरक वरदान साबित हो रहे है. आकार में छोटे होने के कारण नैनो उर्वरक मृदा में आसान वितरित हो जाते है और मृदा सुधार में भी मदद करते है.जब हम बात उर्वरक की करते है तो हमे कुछ खास उर्वरको का ही ध्यान आता है जैसे कि - यूरिया, फॉस्फोरस तथा पोटाश या सल्फर जोकि अधातु उर्वरक है. धातु तत्वों जैसे की लोहा (Fe), जस्ता (Zn), तांबा (Cu) आदि को मिलाकर 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. आजकल धातु नैनोकण का प्रयोग उर्वरक के रूप में बहुतायत में किया जा रहा है.जहां हम सामान्य  उर्वरक 50 किलो डालते है वही 4-5 किलो नैनो उर्वरक डालने से ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है.

इसमें कोई संदेह नहीं की नैनोकण के प्रयोग ने मानव जीवन को सरल बनाया है.किन्तु इन कणो का अत्यधिक प्रयोग वातावरण तथा मानव के लिए हानिकारक भी हो सकता है.

हाल के आकलन से पता चला है कि नैनो-साइज़ कॉपर और कॉपर-ऑक्साइड के दो सौ से अधिक मीट्रिक टन का उत्पादन 2010 और 5500 टन जिंक नैनो कण का उत्पादन किया गया था.प्रत्येक वर्ष हजारों टन नैनो कण पर्यावरण में छोड़ा जाता है, जिनमें से अधिकांश भाग मृदा में जा कर एकत्र होता हैं.मृदा अथवा जल में छोड़े गए नैनोकण खाद्य फसलों में एकत्र होते है.

डॉ. विष्णु राजपूत द्वारा साउथर्न फेडरल यूनिवर्सिटी, रूस में किये गये शोध में नैनोकण के साथ उगाये गये जौ के पौधों में कॉपर की मात्रा 7 गुना सामान्य पौधो की तुलना में अधिक थी. कई और फसलों पर हुए शोध में भी इस तरह की बात सामने आयी है. छोटा आकर होने के कारण नैनोकण आसानी से मानव शरीर में पानी, हवा एवं खाद्य पदार्थो के द्वारा प्रवेश कर जाते है और त्वचा, हृदय, फेफड़े सर्कुलेटरी लिम्फेटिक सिस्टम आदि को प्रभावित तथा कैंसर जैसे बीमारी पैदा कर सकता है.

खाद्य फसलों में नैनो उर्वरक के माध्यम से नैनो कण का संचय अत्यधिक चिंता का विषय है क्योंकि खाद्य फसलें सीधे तौर पर मानव स्वस्थ से जुड़ी है. अतः नैनो पार्टिकल्स का असीमित प्रयोग सोच समझ कर करना होगा.

डॉ. विष्णु राजपूत

(एम. एस. सी. कृषि; पीएचडी; पीडीएफ)

सिनियर रिसर्चर

साउथर्न फेडरल यूनिवर्सिटी, रूस

ईमेल: rajput.vishnu@gmail.com

English Summary: What is nano fertilizer How effective is farming Published on: 11 August 2019, 06:04 PM IST

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