पूसा डबल ज़ीरो मस्टर्ड 35 (PDZ 14) सरसों की इस नई किस्म को इस प्रकार विकसित किया गया है कि यह बदलते मौसम की परिस्थितियों और सामान्य रोगों के हमलों को आसानी से झेल सके. इसके नाम में “डबल ज़ीरो” शब्द का अर्थ है कि इसमें इरूसिक एसिड और ग्लुकोसिनोलेट्स की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे यह तेल उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित है. किसान अगर इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो वे कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त कर बेहतर आमदनी अर्जित कर सकते हैं.
प्रमुख विशेषताएं
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता
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PDZ 14 किस्म सरसों की चार प्रमुख बीमारियों — अल्टरनेरिया ब्लाइट, व्हाइट रस्ट, डाउन माइल्ड्यू और पाउडरी मिल्ड्यू — के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी है.
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इससे फसल पर रोगों का असर कम पड़ता है और उत्पादन स्थिर बना रहता है.
2. उच्च उपज क्षमता
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अगर किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो उन्हें लगभग 21.48 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त हो सकती है.
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यह किस्म पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देती है, जिससे किसानों की आमदनी में सीधा सुधार होता है.
3. मध्यम परिपक्वता
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सरसों की यह उत्तम किस्म पूसा डबल ज़ीरो मस्टर्ड 35 (PDZ 14) लगभग 132 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
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इसका मतलब है कि किसान समय पर कटाई कर अगली फसल की तैयारी कर सकते हैं, जिससे खेत की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होती है.
4. उच्च तेल सामग्री
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इस किस्म की खासियत है कि यह सरसों की अन्य किस्मों की तुलना में करीब 42.05% तेल प्रदान करती है.
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इससे किसानों को तेल की मात्रा अधिक मिलती है और उनकी कमाई भी दोगुनी हो सकती है.
किसानों को होगा कितना लाभ
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किसान पूसा डबल ज़ीरो मस्टर्ड 35 (PDZ 14) की खेती से अधिक लाभ कमा सकते हैं.
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इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण किसानों को कीटनाशकों और रासायनों पर खर्च नहीं करना पड़ेगा, जिससे लागत कम और मुनाफा अधिक होगा.
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साथ ही यह किस्म गर्म, शुष्क और ठंडे तापमान में भी बेहतर परिणाम देती है, यानी यह विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.
इन क्षेत्रों में देंगी ज्यादा उत्पादन
सरसों की यह किस्म किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी, क्योंकि यह कम लागत और कम समय में अधिक पैदावार देने में सक्षम है.
यह किस्म विशेष रूप से निम्नलिखित राज्यों के लिए उपयुक्त है –
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उत्तर प्रदेश
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मध्य प्रदेश
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राजस्थान
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उत्तराखंड
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