हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक में पौधो की खेती मिट्टी की जगह बस पानी के माध्यम से की जाती है. इस तकनीक में पौधों को जरुरत होने वाली सभी पोषक तत्वों को पानी के माध्यम से दिया जाता है. यह काफी अच्छी और उभरती हुई खेती करने की तकनीक है. ऐसे में इस विधि से खेती करने में पौधों की जड़ों में विभिन्न प्रकार के रोग भी लग जाते हैं और फसल के उत्पादन पर भी भारी असर पड़ता है. आज हम आपकों इन रोगों के बारे में बताने जा रहे हैं और इनसे बचाव के क्या तरीके हो सकते हैं.
हाइड्रोपोनिक्स खेती में लगने वाले कीट और बीमारियां
मकड़ी का प्रकोप
यह मकड़ियां सूखे वातारण में पनपती हैं. इनका रंग लाल, पीला, हरा और काला होता है. ये मकड़ियां पौधे के तने को खाती हैं और उस पौधे के तने से पूरा रस निचोड़ लेती हैं. इसके अलावा यह पौधे की पत्तियों पर भी अटैक कर उसे खाने लगती हैं.
ख़स्ता फफूंदी
यह सिर्फ हाइड्रोपॉनिक्स पौधो में ही होने वाला रोग हैं. इसके लगने से पौधों का विकास रुक जाता है और इनके तने कमजोर होने लगते हैं. इसके लगने से पौधों की पत्तियां सूखने लगती हैं और पूरा पौधा पीले रंग का हो जाता है.
थ्रिप्स
यह एक छोटा और गोल आकार का कीट होता है. यह काले रंग का कीड़ा पौधों की पत्तियों पर असर डालता है और यह धीरे-धीरे पूरे पौधे पर फैल जाता है.
आयरन की कमी
हाइड्रोपॉनिक्स तकनीक से उगाए जाने वाले ज्यादातर पौधों में आयरन की कमी होती है. इसकी कमी के कारण पत्तियों में क्लोरोफिल का विकास नहीं हो पाता हैं और इनका रंग पीला पड़ने लगता है.
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इन रोगों से बचाव के लिए पौधों में हमेशा साफ पानी का उपयोग करें और अपने आस पास के वातावरण को साफ रखें. पौधो के विकास के लिए अच्छे प्रकाश की भी जरुरत होती है और अधिक आद्रता वाला वातावरण कीटो का पनपने में मदद करता है.
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