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गन्ने की फसल का इस खतरनाक कीट से ऐसे करें बचाव, वरना उठाना पड़ेगा भारी नुकसान

Sugarcane Crop: गन्ने की खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रप्रदेश और उत्तराखंड में की जाती है. गन्ना किसानों के लिए इसकी खेती सुरक्षित तरीके से करनी बेहद जरूरी हो जाती है, क्योंकि इसकी फसल में बहुत जल्द कीटों और रोगों का प्रकोप होता है. अगर समय रहते इनकी रोकथाम नहीं की जाएं, तो इससे फसल को भारी नुकसान होता है.

मोहित नागर
गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट से ऐेसे करें रोकथाम  (Picture Credit - Freepik)
गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट से ऐेसे करें रोकथाम (Picture Credit - Freepik)

Sugarcane Cultivation: देश के कई राज्यों में गन्ने की खेती की जाती है. लेकिन सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाता है और दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. दोनों ही ऐसे राज्य है, जहां सबसे अधिक चीनी मिलें मौजूद है. इसके अलावा गन्ने की फसल बिहार, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रप्रदेश और उत्तराखंड में भी लगाई जाती है. ऐसे में गन्ना किसानों के लिए इसकी खेती सुरक्षित तरीके से करनी बेहद जरूरी हो जाती है, क्योंकि इसकी फसल में बहुत जल्द कीटों और रोगों का प्रकोप होता है. अगर समय रहते इसकी रोकथाम नहीं की जाएं, तो इससे फसल भी खराब हो सकती है.

गन्ने के कल्ले को करती है नष्ट

गन्ने की फसल में सबसे नुकसानदेह कीट या बीमारी कोई है, तो वह लाल सड़न रोग है और इसके बाद चोटी बेधक कीट (braid borer insect) के प्रकोप को सबसे खतरनाक माना जाता है. हाल ही में गन्ने की फसलों में कुछ क्षेत्रों में इस चोटी बेधक कीट का प्रकोप देखने को मिला है, जिससे गन्ना किसानों के बीच बड़ी चिंता बनी हुई है. चौटी बेधन कीट गन्ने के कल्ले को नष्ट कर देता है, जिससे पूरी फसल खराब हो जाती है. ऐसे में किसानों के लिए इस कीट की शुरुआती अवस्था में ही रोकथाम करनी चाहिए, जिससे फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है.

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चोटी बेधक कीट से होने वाले नुकसान

चोटी बेधक कीट इसे अधिकतर किसानों के बीच कंसुवा, गोफ का सूखना, कन्फ्ररहा और सुंडी का लगना के नाम से भी पहचाना जाता है. गन्ने की फसल पर इस कीट का प्रकोप सबसे पहले इसकी पत्तियों पर होता है. शुरूआती अवस्था में इस कीट के लगने से पत्तियों पर छर्रे बनने लगते हैं और पत्तियों का विकास रूक जाता है. वहीं इस कीट की अंतिम अवस्था में गन्ने का बढ़ना रूक जाता है, जिससे फसल को नुकसान होने लगता है. किसानों को इस कीट की पहली पीढ़ी पर ही खत्म कर देना चाहिए. यदि ऐसा नहीं होते है, तो इसकी दूसरी पीढ़ी का लार्वा प्यूपा में बदलना शुरू हो जाता है और इस पर कीटनाशकों का भी कोई असर नहीं होता. इसके बाद, कुछ दिनों में ही प्यूपा के परिपक्व हो जाने पर इसमें से तितलियां बाहर आने लग जाती है, जो गन्ने की पत्तियों पर अपने अंडे देकर फिर से लार्वा निकलती है और गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाती है.

चोटी बेधक कीट की रोकथाम

किसानों को सबसे पहले खुद से ही अपने खेत का निरीक्षण करना चाहिए, इसके लिए क्षेत्रीय कर्मचारियों की सहायता भी ले सकते हैं. अगर चोटी बेधक कीट शुरूआती अवस्था में है, तो एक सप्ताह के अंदर गन्ने की फसल पर कोराजन दवा का इस्तेमाल करें. इस दवा का उपयोग किसान प्रति एकड़ में लगभग 150 ml कर सकते है. इसका खेतों में छिड़काव करने के लिए प्रति एकड़ के अनुसार 400 लीटर साफ पानी लेकर इसमें इस दवा को मिला देना है. घोल तैयार हो जानें के बाद गन्ने के पौधे की जड़ों के आस-पास इसका छिड़काव करना है. ध्यार रखें की छिड़काव पत्तियों पर ना हो और आप जब छिड़काव करें, तो सुबह या शाम का ही वक्त हो.

छिड़काव के लगभग 24 घंटे के अंदर ही आपको अपने गन्ने के खेतों की सिंचाई कर देनी चाहिए, इससे दवा जड़ों तक पहुंचकर आसानी से पूरे पौधों में फैल जाती है और कीट की रोकथाम में भी काफी मदद मिलती है. इसके बाद आपको गन्ने की खेती की दूसरी सिंचाई 10 से 12 दिनों के बाद करनी है. सिंचाई के बाद किसान गन्ने के खेत की जुताई व गुड़ाई कर सकते हैं.

English Summary: peak borer infection in sugarcane crop damage and prevention Published on: 20 May 2024, 12:26 PM IST

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