हाल ही में बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न चक्रवाती वर्षा प्रणाली के कारण बिहार राज्य के विभिन्न जिलों में मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की गई है. इस वर्षा से वातावरण में सापेक्षिक आर्द्रता 80–90% तक बढ़ गई है, साथ ही तापमान 28–30°C (दिन) और 22–24°C (रात) तथा हल्की हवा की गति (3–6 किमी/घंटा) देखी जा रही है. ऐसी मौसमीय परिस्थितियाँ धान में फॉल्स स्मट (कोलिया/लक्ष्मीनिया रोग) के तीव्र संक्रमण के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती हैं.
वर्तमान में राज्य के अधिकांश जिलों में देर से रोपी गई धान की फसलें फूल निकलने, दुग्धावस्था और दाना भरने की अवस्था में हैं, जो Ustilaginoidea virens नामक कवक के संक्रमण के लिए अत्यधिक संवेदनशील चरण होता है. यह फफूंद परागण काल के दौरान बालियों पर संक्रमण कर दानों को पीले, नारंगी अथवा हरे-काले रंग के मखमली गोलों (Smut Balls) में परिवर्तित कर देती है. संक्रमण के पश्चात् दाने भर नहीं पाते जिससे धान की उत्पादकता, गुणवत्ता और बाजार मूल्य में गिरावट होती है.
फॉल्स स्मट रोग की पहचान के प्रमुख लक्षण:
-
संक्रमित बालियों पर 1–2 या अधिक दाने हरे, पीले अथवा नारंगी रंग के मखमली गोलों में बदल जाते हैं.
-
रोग प्रगति के साथ ये गोलियाँ गहरे हरे अथवा काले रंग की हो जाती हैं.
-
दानों में बीज गठन नहीं होता और वे हल्के व खोखले हो जाते हैं.
-
फसल पकने पर रोगग्रस्त बाली का वजन घटता है, जिससे कुल उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है.
वैज्ञानिक प्रबंधन एवं अनुशंसित उपाय (BAU–Sabour / ICAR–NCIPM अनुशंसा):
फसल की निगरानी और रोगग्रस्त बालियों का निपटान: खेतों का नियमित निरीक्षण करें. जिन बालियों पर स्मट बॉल दिखाई दें, उन्हें सावधानीपूर्वक तोड़कर खेत से बाहर गाड़ दें या जला दें.
जल निकासी प्रबंधन: चक्रवाती वर्षा के बाद खेतों में जलजमाव न होने दें. स्थायी नमी और ठहरा हुआ पानी रोग के प्रसार को बढ़ाता है.
कवकनाशी छिड़काव (रोकथाम हेतु):
-
पहला छिड़काव: फूल निकलने की अवस्था में
-
दूसरा छिड़काव: 10–12 दिन बाद
निम्न में से किसी एक अनुशंसित कवकनाशी का प्रयोग करें —
-
प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी @ 0.1% (500 मि.ली./हेक्टेयर)
-
हेक्साकोनाजोल 5 ईसी @ 0.1% (500 मि.ली./हेक्टेयर)
-
टेबुकोनाजोल 250 ईसी @ 0.1% (200 मि.ली./हेक्टेयर)
-
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP @ 0.3% (3 किग्रा/1000 लीटर पानी/हेक्टेयर)
-
ट्रायसाइक्लाजोल 75 WP @ 0.06% (200 ग्राम/हेक्टेयर)
छिड़काव के लिए 500–600 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें और समान रूप से स्प्रे सुनिश्चित करें.
बीजोपचार (अगले सीजन हेतु): बीजोपचार कार्बेन्डाजिम 50 WP @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या टेबुकोनाजोल 1.5 ग्राम/किग्रा बीज से करें.
संतुलित उर्वरक उपयोग: नाइट्रोजन की अत्यधिक मात्रा देने से बचें. संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग रोग को नियंत्रित करने में सहायक है.
प्रतिरोधी किस्मों का चयन: उन क्षेत्रों में जहाँ पिछले वर्षों में फॉल्स स्मट का प्रकोप रहा हो, वहाँ रोग-प्रतिरोधी या कम संवेदनशील किस्में लगाएँ.
एकीकृत रोग प्रबंधन (IPM): फसल चक्र अपनाएँ, रोगग्रस्त पौध अवशेषों को नष्ट करें तथा स्वस्थ पौध सामग्री का उपयोग करें.
Share your comments