देश के विभिन्न राज्यों के किसानों ने धान की खेती की ओर रूख कर दिया है. इस समय सभी किसान धान की नर्सरी पर पूरा ध्यान दे रहे हैं. धान की नर्सरी को परंपरागत विधि से तैयार करने में आर्थिक लागत ज्य़ादा लगती है. इसके साथ ही पानी भी अधिक खर्च होता है.
ऐसे में किसानों को राइस मैट नर्सरी विधि (Rice Mat Nursery Method) अपनानी चाहिए. इस विधि में किसान की आर्थिक लागत काफी कम लगती है, साथ ही फसल से अधिक पैदावार भी प्राप्त होती है. किसान की लगात और मेहनत को कम करने के लिए ही ‘राइस मैट नर्सरी’ को विकसित किया गया है.
क्या है राइस मैट नर्सरी?(What is Rice Mat Nursery?)
इस विधि को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी क्षेत्र पटना-रांची के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. यूपी और बिहार के किसानों को इस विधि से धान की खेती करने की सलाह दी जाती है. इस विधि में धान के बीज को वर्मी कंपोस्ट के साथ मिट्टी के मिश्रण में बेड पर उगाया जाता है. इसके 15 से 20 दिन बाद नर्सरी तैयार हो जाती है. जब नर्सरी तैयार हो जाती है, तो धान की नर्सरी के गुच्छे को लपेटकर चटाई की तरह उखाड़ दिया जाता है. इसके बाद खेत की मिट्टी को गिला किया जाता है राइस ट्रांसप्लांटर मशीन द्वारा धान की बुवाई की जाती है. खास बात है कि इस विधि से किसानों का समय ओर श्रम, दोनों की बचत होती है. इस विधि में खेत में पानी देना पड़ता है.
धान की पौध होगी 15 से 20 दिन में तैयार (Paddy seedlings will be ready in 15 to 20 days)
राइस मैट नर्सरी विधि की खासियत है कि यह धान की नर्सरी को 15 से 20 दिन में तैयार कर देती है. इसमें कम पानी और जमीन की आवश्यकता पड़ती है. इसको घर के पास भी आसानी से उगाया जा सकता है. सबसे खास बात है कि इस विधि में लगभग 90 प्रतिशत कम रासायनिक खादों का उपयोग होता है.
राइस ट्रांसप्लांटर मशीन का उपयोग करना (Using Rice Transplant Machine)
इस विधि में तैयार हुई नर्सरी की पौध को राइट ट्रांसप्लांटर मशीन में रखा जाता है. इसके लिए मशीन में लोहे का ट्रे बना होता है, जो कि मशीन से जुड़ा रहता है. बता दें कि एक खेतिहर मजदूर लगभग 8 घंटे में 500 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बुवाई करता है, बल्कि इतने समय में राइस मैट नर्सरी से तैयार हुई नर्सरी को राइट ट्रांसप्लांटर मशीन 1 से अधिक हेक्टेयर में बुवाई कर देती है.
इस विधि से धान की बुवाई करने में रोगों का खतरी भी कम होता है. इसके साथ ही मिट्टी की उवर्रक शक्ति बनी रहती है. खास बात है कि किसान राइस मैट नर्सरी तकनीक से धान के बिचड़े को तैयार करके बाजार में बेच सकते हैं. इससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफ़ा भी होगा.
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