अगर आप जामुन को खाने के शौकीन है और केवल इस सोच से आप पौधे नहीं लगाना चाहते है कि पेड़ को तैयार होने में और फल आने में 10 वर्ष या उससे अधिक का वक्त लगेगा तो इस ख्याल को अब आप अपने मन से बाहर निकाल दीजिए. दरअसल छत्तीसगढ़ कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केंद्र कांकेर ने अपने अनुसंधान से जामुन के छह किस्म के जीनोटाइप पौधे तैयार कर लिए है. इन पौधों में केवल तीन वर्षों के अंदर ही फल आने लग जाएंगे. अनुसंधान के तहत कांकेर, कोड़ागांव, जगदलपुर के विभिन्न गांवो, जंगलों में सर्वेक्षण किया गया है. जामुन के 60 जीनोटिप का अनुसंधान करके छह किस्म के जीनोटाइप को तैयार कर लिए गए है. इनमे 50 से 60 किलोग्राम फल से प्रति वृक्ष पैदावर होगी. अभी तक राज्य में जामुन का ऐसा पेड़ नहीं है.
अनुसंधान में बेहतर परिणाम
चयनित पेड़ों का पासपोर्ट डेटा एक जीपीएस के सहारे इनको एकत्र किया गया है. इनमें पेड़ की ऊंचाई, घेरा, फूल आने का समय, फल-फूलों की संख्या, फलों की लंबाई और चौड़ाई, वजन, गुदा का वजन, गुठली का वजन और रासायनिक विश्लेषण, विटामिन सी, शर्करा का अनुसंधान किया गया है. डॉ नाग बताते है कि 60 जीनोटाइप में से छह के परिणाम काफी अच्छे आए है.
अनुमोदन के बाद खेती
महाविद्यालय में जामुन के पौधे तैयार किए जा रहे है. इसका सभी कृषि अनुसंधान केंद्रों में परीक्षण किया जाता है. इसके बाद जामुन की किस्म को अनुशासित समिति के माध्यम से अनुमोदन किया जाएगा. इसके बाद ही किसानों को यह उपलब्ध करवाया जाएगा और इसकी खेती को किया जाएगा.
यह है जीनोटाइप पौधे
किसी पौधे का जीनोटाइप उस पौधे का अनुवांशिक मेकअप है. यह उसकी भीतरी संरचना है.यह किसी एकल लक्षण और लक्षणों के संदर्भ में, किसी भी पौधे या पौधों के समूह का अनुवांशिक श्रृंगार में बदलाव है. यह सभी जीनों या किसी विशिष्ट जीन से संबंधित हो सकता है. जीनोटाइप जामुन के पौधे से जामुन जल्द ही आने लगेगें. इससे किसानों को काफी फायदा होगा.
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