![कटहल के छोटे फलों के समय से पहले गिरने के मुख्य कारण और रोकथाम के उपाय](https://kjhindi.gumlet.io/media/90987/why-do-newly-born-jackfruit-fruits-fall.jpg)
कटहल एक उष्णकटिबंधीय फल वृक्ष है, जिसे इसकी अद्वितीय बनावट, स्वाद और पोषण मूल्य के लिए जाना जाता है. कटहल न केवल सब्जी और फल के रूप में उपयोगी है, बल्कि इसमें औषधीय गुण भी विद्यमान हैं. भारत में, विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक में इसकी व्यापक खेती की जाती है.
हालांकि, कटहल उत्पादकों के लिए एक बड़ी चुनौती छोटे फलों का समय से पहले गिरना है, जिससे उत्पादन में कमी आती है और आर्थिक नुकसान होता है. यह समस्या कई जैविक और अजैविक कारकों से जुड़ी होती है. यदि इसके कारणों की सही पहचान कर उचित प्रबंधन तकनीकों को अपनाया जाए, तो इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
कटहल के छोटे फलों के समय से पहले गिरने के प्रमुख कारण
1. परागण एवं निषेचन की समस्याएं
पर्याप्त परागण न होने पर फलों का ठीक से विकास नहीं हो पाता, जिससे वे समय से पहले गिर जाते हैं. इसके कारण हैं:
- परागणकर्ताओं (मधुमक्खियों, कीटों) की कमी
- अत्यधिक आर्द्रता या अत्यधिक गर्मी के कारण पराग की क्रियाशीलता में कमी
- कटहल के पेड़ पर नर और मादा फूलों के खिलने में असंतुलन
2. पोषक तत्वों की कमी
कटहल के पेड़ों को उचित विकास के लिए संतुलित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. निम्नलिखित पोषक तत्वों की कमी से फल गिर सकते हैं:
- नाइट्रोजन (N): कोशिका विभाजन और वृद्धि में सहायक
- पोटेशियम (K): फल धारण क्षमता को बढ़ाता है
- मैग्नीशियम (Mg) और जिंक (Zn): फलों की गुणवत्ता और परिपक्वता में मदद करते हैं
- यदि मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी होती है, तो फल पूर्ण विकसित नहीं हो पाते और गिर जाते हैं.
3. जल प्रबंधन की असंतुलन
- अत्यधिक सिंचाई से जड़ सड़न (Root Rot) की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे फलों का गिरना बढ़ जाता है.
- सूखे की स्थिति में पानी की कमी के कारण पेड़ जल तनाव में आ जाता है और फल गिरने लगते हैं.
- तेज गर्मी और तेज़ हवाओं के कारण वाष्पीकरण बढ़ जाता है, जिससे नमी की कमी होती है और फल झड़ने लगते हैं.
4. कीट एवं रोग संक्रमण
कीट
- कटहल छेदक (Batocera rufomaculata)—यह कीट पेड़ की टहनियों को कमजोर कर देता है, जिससे पोषण की आपूर्ति बाधित होती है और फल गिरने लगते हैं.
- थ्रिप्स एवं मिलीबग्स—ये कीट फलों के विकास में बाधा डालते हैं और पत्तियों को नुकसान पहुँचाते हैं.
रोग
- एन्थ्रेक्नोज (Colletotrichum gloeosporioides)—यह रोग छोटे फलों पर धब्बे बनाकर उन्हें कमजोर कर देता है, जिससे वे गिर जाते हैं.
- राइज़ोपस रोट—यह कवकीय रोग अत्यधिक नमी में फैलता है और फलों को सड़ाकर गिरने पर मजबूर करता है.
5. प्रतिकूल पर्यावरणीय कारक
- अत्यधिक तापमान (40°C से अधिक)—फलों के ऊतकों को नुकसान पहुँचाता है.
- तेज़ हवा और आँधी—कमज़ोर और छोटे फलों को गिरा देती है.
- अत्यधिक छायादार क्षेत्र—फलों का उचित विकास नहीं हो पाता, जिससे वे गिर जाते हैं.
- कटहल के छोटे फलों का समय से पहले गिरने का प्रबंधन
परागण को अनुकूल बनाना
- बगीचों में मधुमक्खियों और अन्य परागणकों को आकर्षित करने के लिए फूलों वाले पौधे लगाएँ.
- कटहल में हाथ से परागण (Hand Pollination) तकनीक अपनाकर फलधारण बढ़ाया जा सकता है.
पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना
- नाइट्रोजन, पोटेशियम, और मैग्नीशियम की संतुलित आपूर्ति के लिए मिट्टी परीक्षण के अनुसार उर्वरक का प्रयोग करें.
- पत्तियों पर स्प्रे के रूप में जिंक और बोरॉन का उपयोग करें.
- जैविक खाद (जैसे गोबर खाद, वर्मीकंपोस्ट) का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएँ.
जल प्रबंधन में सुधार
- ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें, ताकि नमी स्तर संतुलित बना रहे.
- मल्चिंग (Mulching) से नमी संरक्षित होती है और जड़ों को ठंडक मिलती है.
- गर्मी के मौसम में हल्की सिंचाई दें, लेकिन जलभराव से बचें.
कीट एवं रोग नियंत्रण
- नियमित रूप से निगरानी करें और प्रारंभिक लक्षणों पर जैविक या रासायनिक उपाय अपनाएँ.
- नीम तेल, ट्राइकोडर्मा और बवेरिया बैसियाना जैसे जैविक उपचार का उपयोग करें.
- प्रभावित टहनियों और संक्रमित फलों को हटाकर नष्ट करें.
प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना
- तेज़ हवा से बचाव के लिए बगीचों में विंडब्रेक पौधे (जैसे सुबबूल, यूकेलिप्टस) लगाएँ.
- कटहल के पेड़ों की सही छंटाई करें, ताकि उचित धूप और हवा मिले.
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