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गेहूं की नई किस्में जम्मू गेहूं-584 व 598 कृषि क्षेत्र में लाएंगी क्रांति, पैदावार होगी 50 से 60 क्विंटल / हेक्टेयर

अक्टूबर- नवंबर माह रबी की फसलों का सीजन है. इस सीजन की प्रमुख फसल गेहूं है. ऐसे में किसान भाई इस माह में गेहूं की खेती खूब करते है. गेहूं की खेती के दौरान किसान बात को लेकर ज्यादा असमंजस में रहते है कि वह गेहूं की किस किस्म की खेती करे जो उनके खेत के अनुकूल होने के साथ ही उपज भी दें.

KJ Staff
Wheat
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अक्टूबर- नवंबर माह रबी की फसलों का सीजन है. इस सीजन की प्रमुख फसल गेहूं है. ऐसे में किसान भाई इस माह में गेहूं की खेती खूब करते है. गेहूं की खेती के दौरान किसान बात को लेकर ज्यादा असमंजस में रहते है कि वह गेहूं की किस किस्म की खेती करे जो उनके खेत के अनुकूल होने के साथ ही उपज भी दें.

कृषि वैज्ञानिक (Agriculture Scientists) भी इन सभी बिन्दुओं के मद्देनजर आयें दिन गेहूं की नवीन किस्मों का ईजाद करते रहते है. इसी कड़ी में शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी जम्मू (स्कास्ट-जे) ने सिंचित और  असिंचित क्षेत्र के लिए गेहूं की दो उन्नत किस्में ईजाद की हैं.

गौरतलब है कि स्कास्ट-जे ने साल 2012 में गेहूं की नई किस्म का बीज (New Variety of Wheat Seed) तैयार करने के लिए शोध शुरू किया था. अनवरत 5 साल के शोध के बाद से बीज फील्ड ट्रायल पर है. स्कास्ट की ओर से बीज को इस सीजन में भी फिर से ट्रायल पर वितरित किया गया है. इसे स्कास्ट-जे के स्टोर और कृषि बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध करवाया गया है. बता दे कि गेहूं की इस किस्म का बीज पर्वतीय क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है.

दरअसल जिन जगहों पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है उन जगहों के लिए जम्मू गेहूं-584 और बारिश आधारित कृषि वाले इलाकों के लिए जम्मू गेहूं-598  ईजाद किया गया है. इस बीज के सहारे खेती करने से अब रिकार्ड उपज ली जा सकेगी. मौजूदा वक्त में दिल्ली 2967 एचडी-30 की पैदावार सर्वाधिक (30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) है.

जबकि जम्मू गेहूं किस्म प्रति हेक्टेयर 50 से 60 क्विंटल की पैदावार देती है. तमाम ट्रायल सफल होने के बाद स्कास्ट-जे ने अब बीज को हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में ट्रायल के लिए भेजा है. गौरतलब है कि स्कास्ट-जे ने साल 2012 में गेहूं की नई किस्म का बीज तैयार करने के लिए शोध शुरू किया था.

अनवरत 5 साल के शोध के बाद से बीज फील्ड ट्रायल पर है. स्कास्ट की ओर से बीज को इस सीजन में भी फिर से ट्रायल पर वितरित किया गया है. इसे स्कास्ट-जे के स्टोर और कृषि बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध करवाया गया है. बता दे कि गेहूं की इस किस्म का बीज पर्वतीय क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, गेहूं के इन दोनों ही उन्नत किस्मों का आटा सफेद रंग का होगा. इसके पकने पर सुगंध भी आती है. इन दोनों खूबियों की वजह  से नई किस्मों के आटे की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.

अभी तक हुए ट्रायल में जम्मू गेहूं-584 व 598 किस्मों के नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे हैं. ट्रायल का यह दूसरा वर्ष है. अब इसके ट्रायल के लिए उत्तर भारत के कई राज्यों में बीज भेजा गया है. आगामी सीजन से किसान गेहूं की इस किस्म की खेती करके पैदावार में काफी इजाफा आसानी से कर सकेंगे.

English Summary: New varieties of wheat will bring revolution in Jammu wheat-584 and 598 agriculture sector, yield will be 50 to 60 quintal / hectare Published on: 30 October 2019, 12:59 PM IST

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