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बैंगन की इन नई किस्मों से 1 हेक्टेयर में होगी 35 टन तक की पैदावार, जानिए क्या है विशेषता

किसानों की आमदनी में इजाफ़ा करने के लिए सरकार के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक भी अनवरत प्रयासरत रहते है. और आए दिन नवाचार करते रहते है. कृषि वैज्ञानिकों की ही देन है कि कृषि क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव आया है और देश का युवा वर्ग खेती किसानी में अपना रुझान व्यक्त का रहा है. अब कृषि वैज्ञानिकों ने बैंगन की दो ऐसी किस्में ईजाद की है जो उच्च पोषक तत्वों के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है और यह परंपरागत किस्मों की तुलना में ज्यादा पैदावार देती है. दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने हाल में पूसा सफेद बैंगन 1 और पूसा हरा बैंगन 1 किस्मों का ईजाद किया है जो एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है. ये किस्में परंपरागत किस्मों की तुलना में जल्दी फूलने फलने लगती है और भरपूर पैदावार भी देती हैं. इसमें उच्च ऑर्गेनिक कंपाउंड फेनॉल भी पाया जाता है.

विवेक कुमार राय
pusa white

किसानों की आमदनी में इजाफ़ा करने के लिए सरकार के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक भी अनवरत प्रयासरत रहते है. और आए दिन नवाचार करते रहते है. कृषि वैज्ञानिकों की ही देन है कि कृषि क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बदलाव आया है और देश का युवा वर्ग खेती किसानी में अपना रुझान व्यक्त का रहा है. अब कृषि वैज्ञानिकों ने बैंगन की दो ऐसी किस्में ईजाद की है जो उच्च पोषक तत्वों के साथ ही एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है और यह परंपरागत किस्मों की तुलना में ज्यादा पैदावार देती है. दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने हाल में पूसा सफेद बैंगन 1 और पूसा हरा बैंगन 1 किस्मों का ईजाद किया है जो एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है. ये किस्में परंपरागत किस्मों की तुलना में जल्दी फूलने फलने लगती है और भरपूर पैदावार भी देती हैं. इसमें उच्च ऑर्गेनिक कंपाउंड फेनॉल भी पाया जाता है.

पूसा सफेद बैंगन 1

पूसा सफेद बैंगन 1 आकर्षक होने के साथ ही सफेद रंग का और अंडे के आकार का होता है जिसकी खेती उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में खरीफ के दौरान की जा सकती है. इसके अलावा जिन हिस्सों में बैंगन  की खेती की जाती है उन स्थानों पर भी इसकी पैदावार ली जा सकती है.

पूसा सफेद बैंगन 1 की विशेषता

पूसा सफेद बैंगन 1 जल्दी तैयार होने वाली किस्म है जो पौधा लगाने के 50 से 55 दिनों में फलने लगती है. इसके एक बैंगन  का वजन तकरीबन 50 से 60 ग्राम होता है जोकि गुच्छों में फलते हैं. एक हेक्टेयर में पूसा सफेद बैंगन  1 की पैदावार तकरीबन 35 टन तक होती है. तो वहीं, एक हेक्टेयर में बैंगन के पौधे लगाने के लिए 250 ग्राम बीज की जरुरत होती है जिसे पौधाशाला में लगाया जाता है. 

pusa green

पूसा हरा बैंगन 1

पूसा हरा बैंगन 1 उच्च आक्सीडेंट गुणों से भरपूर है और इसे खरीफ के दौरान उत्तर भारत में लगाया जा सकता है. इस किस्म के बैंगन  गोल और हरे रंग का होता है जो देखने बेहद आकर्षक होता है.

पूसा हरा बैंगन 1 की विशेषता

पूसा हरा बैंगन 1 में लगाये जाने के 40 दिनों के बाद ही फूल निकलने लगते हैं तथा 55 से 60 दिनों में इसके फल तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 से 45 टन तक ली जा सकती है. इसके एक फल का वजन 210 से 220 ग्राम तक होता है. अधिकांश किस्म की बैंगन की पैदावार प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन तक होती है.

English Summary: new varieties of brinjal 'Pusa white brinjal 1' and 'Pusa green brinjal 1' will yield up to 35 tonnes in 1 hectare, know what is the specialty Published on: 13 January 2020, 02:10 PM IST

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