देश के किसानों का प्राकृतिक खेती की तरफ झुकाव बढ़ता जा रहै हैं. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में पिछले तीन साल में रासायनिक उर्वरकों की खपत में 90 फीसदी की गिरावट आई है. जिले के कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए आकड़ो के अनुसार, फसलों में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में लगातार कमी आ रही है. विभाग के हर साल 90 लाख रुपयों के रासायनिक उर्वरक को बेचने का काम करता है, जिसके बिक्री के आकड़ों में लगातार कमी आ रही है.
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, भारत सरकार की योजना ‘आत्मा प्रोजेक्ट’ के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. इसकी सफलता को देखते हुए देश में प्राकृतिक खेती को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है.
क्या है ‘आत्मा प्रोजेक्ट’
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से राज्य के 11,230 किसानों को अब तक प्रशिक्षण दिया जा चुका है. इसके अलावा बिलासपुर जिले की 176 पंचायतों में जैविक खेती के मॉडल तैयार किए गए हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत सोयाबीन, मक्का, उड़द और अरहर की फसल की खेती की जाती है और खेती में उपयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों से बचा जा सकता है. जिले के किसान भी गाय और भैसों के गोबर और गोमूत्र से देशी खाद और कीटनाशक तैयार कर रहे हैं. इसके लिए सरकार भी किसानों को देसी गाय और भैस खरीदने के लिए अनुदान भी दे रही है.
सितारा पोर्टल पर पंजीकरण
किसानों द्वारा उपजाई गई फसलों के अच्छे दाम के लिए सरकार ने किसानों के लिए सितारा पोर्टल पर पंजीकरण कराने को कहा है. बिलासपुर जिले के तीन हजार किसानों ने इस पोर्टल पर पंजीकरण करा लिया है.
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पशुपालन को मिल रहा बढ़ावा
सरकार प्राकृतिक खेती के साथ-साथ राज्य में पशुपालन को भी बढ़ावा दे रही है. कृषि विभाग किसानों से गोमूत्र खरीद इसे जैविक खाद को बनाने में इस्तेमाल कर रहा है, जिस कारण राज्य में प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा मिल रहा है.
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