मोटा अनाज यानी मिलेट्स की जब भी बात आती है तो मन में मक्का का नाम जरूर आता है. क्योंक, अब रबी सीजन की कटाई पूरी हो चुकी है और जल्द ही खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाएगी. ऐसे में कई किसान मक्के की खेती करने की तैयारी में जुट गए होंगे. अगर आप भी मक्का की खेती करते हैं, तो ये आर्टिकल आप ही के लिए हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे रोग के बारे में बताएंगे, जो मक्के के लिए बेहद खतरनाक है. अगर मक्के में ये रोग लग जाए, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसे में आपको इससे बचाव का तरीका पता होना चाहिए. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
मक्के की फसल में उत्तरी झुलसा लगने का खतरा हमेश बना रहता है. इसे टर्सिकम लीफ ब्लाइट रोग/Tursicum Leaf Blight Disease भी कहा जाता है. ये रोग इतने खतरनाक है की अगर फसल में लग जाए, तो पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि देश में भारी संख्या में किसान मक्के की खेती कर रहे हैं. लेकिन, मक्के में कवक रोगों के लगने से इसकी फसल प्रभावित हो जाती है. जिनमें मुख्यतः उतरी झुलसा लगने का खतरा ज्यादा रहता है. क्योंकि इसका संक्रमण 17 से 31 डिग्री सेल्सियस तापमान सापेक्षिक आर्द्रता 90 से 100 प्रतिशत गीली और आद्र के मौसम में अनुकूल होता है, जो कि फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया को प्रभावित करता है. जिससे पैदावार में 90 प्रतिशत तक कमी आ जाती है.
क्या है रोग के लक्षण?
उत्तरी झुलसा रोग का संक्रमण 10 से 15 दिन बाद दिखाई देने लगता है. इस दौरान फसल में छोटे हल्के हरे भरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. साथ ही पत्तियों पर शिकार के आकार के एक से 6 इंच लंबे भूरे रंग के घाव हो जाते हैं. जिससे पौधे की पत्तियां गिरने लगती हैं. इससे उपज को भारी नुकसान होता है.
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कैसे करें बचाव
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, फसल की बुवाई से पहले पुराने अवशेषों को नष्ट कर दें. जिससे इस रोग के लगने की संभावना कम हो जाती है. साथ ही खेतों में पोटैशियम क्लोराइड के तौर पर पोटैशियम का प्रयोग करना चाहिए. साथ ही मैंकोजिब 0.25 प्रतिशत व कार्बेंडाजिम का फसल पर छिड़काव करने से फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है.
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