Maize Crop Tips: बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने ठंड के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मक्का किसानों के लिए खास सलाह जारी की है. इस समय अगात मक्का की फसल (15 अक्टूबर से 1 नवंबर तक बोई गई) पुष्पन अवस्था में है, लेकिन गिरते तापमान के कारण परागण और निषेचन की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है. ठंड का असर फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जैसे पत्तियों का पीला या बैंगनी होना और फसल की असामान्य वृद्धि. इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए किसानों को हल्की सिंचाई और उर्वरक का सही प्रयोग करने की सलाह दी गई है. ठंड के कारण उत्पादन में कमी से बचने के लिए किसान इन सुझावों का पालन कर सकते हैं.
कम तापमान का फसल पर प्रभाव
- पत्तियों का पीला या बैंगनी होना.
- फसल की असामान्य वृद्धि.
- परागण और निषेचन में समस्या, जिससे दाना बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम रहने की संभावना है, जो मक्के की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है.
किसानों के लिए सलाह
ठंड के प्रतिकूल प्रभाव से फसल को बचाने के लिए किसान निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
1. हल्की सिंचाई करें:
- मिट्टी का तापमान स्थिर रखने के लिए हल्की सिंचाई करें.
- जल जमाव से बचें.
2. उर्वरक का प्रयोग करें:
- हल्की सिंचाई के बाद एन.पी.के. (19:19:19) और मैग्निशियम सल्फेट (1.5 किलोग्राम/एकड़) का छिड़काव करें.
- यदि फसल धनबाल (Silking) की अवस्था में है, तो 30 किलोग्राम यूरिया और 10 किलोग्राम सल्फर का उपयोग करें.
- पोटाश उर्वरक (10 किलोग्राम/एकड़) का भी प्रयोग करें.
यह उपाय क्यों जरूरी हैं?
- हल्की सिंचाई मिट्टी का तापमान बनाए रखती है, जिससे ठंड का असर कम होता है.
- उर्वरक का सही इस्तेमाल फसल को जरूरी पोषण प्रदान करता है और ठंड से बचाव करता है.
किसानों को सलाह दी जाती है कि इन उपायों को समय पर अपनाकर अपनी फसल को ठंड के दुष्प्रभाव से बचाएं और उत्पादन में कमी से बचें.
नोट: किसान अधिक जानकारी के लिए अपने स्थानीय कृषि कार्यालय या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करें.
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