मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में पहली बार काले गेहूं की खेती चर्चा का विषय बनी हुई है. जिसे देखकर जिले में काले गेहूं की खेती को करने का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
मध्य प्रदेश शासन भी खेती को लाभ का धंधा बनाने के उद्देश्य से किसानों को अलग-अलग तरह की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के प्रयास में लगी हुई है. इसके साथ ही किसान भी नई तकनीकों से खेती करने के लिए दिन-रात मेहनत से जुटे हुए हैं. कई किसानों ने काले गेहूं की खेती को करना शुरू कर दिया है. दरअसल इंदौर जिले के गौतमपुरा गांव तलावली में किसान मोनू पटेल व शाहपुरा के लाखन गहलोत ने अपने खेत में एक उन्नत प्रकार के किस्म का काले गेहूं को बोया है. जिले में पहली बार काले गेहूं की किस्म को बोया गया है.
पंजाब से मंगाया बीज
किसानों ने इस बीज को पंजाब से महंगे दामों पर खरीद कर जिले में पैदावार शुरू की है. यह गेंहू सामान्य गेहूं की तरह ही है लेकिन इसका रंग काला है. इतना ही नहीं इसकी जो फलदार गुच्छे जिसे आम भाषा में उम्बिया कहा जाता है उसका रंग भी पूरी तरह से काला ही होगा. मध्य प्रदेश में पहली बार काले रंग के गेहूं की खेती की जा रही है. जिससे यहां के किसान बेहद खुश हैं.
किसान मोनू का कहना है कि वे अक्सर लीक से हटकर कुछ करते है, और उन्हें जैसे ही किसी भी देशी या विदेशी नई तकनीक के बारे में पता चलता है तो वह इस तरह की तकनीक व खेती को अपने यहां मूर्त रूप देने लग जाते है.
स्वास्थय के लिए लाभकारी काला गेहूं
किसान ने बताया कि काला गेहूं ना सिर्फ दिखने में अलग है, बल्कि काफी ज्यादा गुणकारी भी है. इस काले गेहूं को मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी बताया गया है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता आम फसलों से अधिक होती है. किसानों ने इस गेहूं की किस्म के बारे में पहली बार सुना है लेकिन यह गेहूं सबसे अलग है जिसके बारे में किसान व अन्य लोग खेतों में आकर जानने के बारे में इच्छुक है.
काले रंग के गेहूं को देखने आ रहे किसान
काले गेहूं की खेती करने वाले किसान मोनू पटेल ने कहा कि मेरे काले गेहूं की खेती को देखने व उसका फायदा जानने के लिए रोजाना कई किसान मेरे खेत पर आ रहे हैं. अभी काले गेहूं की फसल की बुवाई हुई है. जब यह बड़े होंगे तो उम्मीद है काफी लोग इस किस्म के गेहूं की खेती को देखने आएंगे.
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