इन दिनों मानसून का सीजन चल रहा है. बारिश के मौसम में करेला, तोरई, लौकी और खीरा आदि की फसल बारिश के चलते पूरी तरह से गल जाती है. जिस कारण किसान को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अक्सर बारिश के मौसम में सब्जियों के दाम तेजी से बढ़ जाते है लेकिन पौधों के गल जाने के कारण किसान इसका फायदा नहीं उठा पाते है.
यहां के बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान मोदीपुरम के प्रधान रितेश शर्मा बताते है कि किसान फिलहाल मचान विधि का प्रयोग कर रहे है. एक एकड़ में मचान विधि के प्रयोग से किसान छह महीने में 80 हजार से एक लाख रूपये कमा सकता है.
मचान के लिए यह करें (Do this for scaffolding)
मचान को बनाने के लिए लोहे के तार, प्लास्टिक की रस्सी, खूंटे की आवश्यकता होती है. एक एकड़ में 25 से 26 हजार रूपये में मचान आसानी से तार हो जाता है. तीन साल तक इसका प्रयोग किया जाता है. किसान सैनी बताते है कि जब से इन्होंने मचान के माध्यम से खेती करना शुरू की है तब से उनको काफी ज्यादा लाभ मिल रहा है.
खेती करते समय ध्यान रखें (Take care while farming)
वैज्ञानिको का कहना है कि किसान अगर यहां पर करेले की खेती किसी भी रूप मे करना चाहते है तो वह 15 मार्च के बाद आलू के खेत खाली हो जाते है. आप उनकी जुताई करके खेत को लेवल कर लेते है. 15 से 30 मार्च के बीच में तीन फीट की दूरी पर पौधे लगाएं और प्रत्येक छह फीट की दूरी पर लाइन की दूरी भी रखे. इस प्रकार से जब यह पौधे तीन से चार फीट के हो जाए तब आप मचान को बनाकर इसके ऊपर पौधों को चढ़ा दें.
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मचान बनाने में सब्जी बिल्कुल खराब नहीं होती है. इससे बीमारी और कीड़ों का भी आसानी से उपचार कर सकते है. इसके अलावा शुरू के दो महीनों के भीतर टमाटर और मिर्च जैसी फसल ले ले. इससे किसान काफी अतिरिक्त लाभ को प्राप्त कर सकते है.
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