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अनानास की क्यू और क्वीन किस्म की खेती कर किसान बन सकते हैं आत्मनिर्भर, बेचने के लिए यहां करें संपर्क

अनानास में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं और साथ ही यह खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. आज के इस लेख में हम अनानास की खेती और उससे जुड़ी सभी जानकारी आपको देने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं.

देवेश शर्मा
अनानास की खेती करने के तरीके
अनानास की खेती करने के तरीके

आज के समय में तकनीक रूप से कुछ हट कर करने का समय है और इस दौर में बहुत से लोग तकनीक का इस्तेमाल कर नए-नए काम कर रहे हैं. आपको बता दें कि आजकल किसान भी किसी से पीछे नहीं हैं. वे भी परंपरागत खेती से अपने ध्यान को हटाकर मुनाफे वाले खेती की ओर लगा रहे हैं.

फलों की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा होती है, जैसे अनानास की खेती. अनन्नास की खेती की बात करें तो यह काफी अच्छा मुनाफ़ा देने  वाली फल होती है, क्योंकि इसकी खेती पूरे बारह महीने तक की जा सकती है और इस फल की मांग बाजार में पूरे बारह महीने बनी रहती है.

अनानास की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी कुछ इस प्रकार है:

अनानास के पौधे का संक्षिप्त इतिहास( History of pineapple farming)

अनानास के पौधे के इतिहास को देखें तो इसकी उत्पत्ति कैक्टस प्रजाति से होती है. यह मूल रूप से पैराग्वे एवं दक्षिणी ब्राज़ील में पैदा होने वाला फल है. इसे अंग्रेजी में पाइनएप्पल कहा जाता है और अनानस कोमोसस इसका वैज्ञानिक नाम है. यह एक खाद्य उष्णकटिबंधीय पौधा है.

अनानास के फ़ायदे( Benefits of pineapple)

अनानास एक उच्च स्तर का अम्लीय पौधा होता है. इसमें बड़ी मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है. अनानास का सेवन करने से आपके अन्दर ऊर्जा और स्फूर्ति रहती है और यह पाचन क्रिया को ठीक करने में सहायक होता है. गठिया रोग में भी इसे लाभकारी माना जाता है.

भारत में अनानास की खेती करने वाले इलाके(pineapple farming areas of India)

अनानास को हमारे देश में मुख्य रूप से केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम, और मिजोरम जैसे राज्यों में उगाया जाता है, लेकिन अब मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान भी इसका उत्पादन करने लगे हैं.  केरल, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इसकी खेती 12 महीने की जाती है.

अनानास की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु( climate for pineapple farming)

अनानास की खेती करने के लिए नमी वाले मौसम की ज़रूरत होती है. सरल भाषा में बात करें तो जहां ज़्यादा बारिश होती है वहां पर इसकी खेती बड़े अच्छे से की जा सकती है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि इसमें गर्मी सहने की ज्यदा क्षमता नहीं होती है, इसलिए गर्म जलवायु वाले इलाकों में इसकी खेती नहीं की जा सकती है. अनानास की खेती के लिए 22 से 32 डिग्री के बीच का तापमान होना चाहिए.

अनानास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी( soil for pineapple farming)

अनानास की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी या रेतीली मिट्टी उपयुक होती है. इसके साथ ही जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं की जा सकती है. मिट्टी का PH मान  5 से 6 के बीच होना चाहिए.

अनानास की खेती करने का सही समय( Best time for pineapple farming)

दरअसल, अनानास की खेती साल में दो बार की जाती है, जैसे पहली खेती जनवरी से मार्च तक तथा दूसरी बार मई से जुलाई के बीच इसकी खेती की जा सकती है. लेकिन अगर नमीयुक्त मौसम है तो खेती बारह महीने की जा सकती है.

अनानास की उन्नत किस्में(Best varieties of pineapple farming)

भारत में वैसे तो अनानास की कई प्रकार की किस्में प्रचलित हैं, लेकिन कुछ किस्में ऐसी हैं जोकि अच्छी पैदावार देती हैं, जैसे जायनट क्यू, क्वीन, रैड स्पैनिश, मॉरिशस मुख्य किस्म हैं. इन किस्मों के गुणों के बारे में बात करें तो अनानास की क्वीन किस्म बहुत जल्दी से पकने वाली किस्म है. जायनट क्यूइस किस्म की खेती पछेती फसल के रूप में की जाती है और रेड  स्पैनिशइस किस्म में रोगों का प्रकोप काफी कम होता है.  

अनानास का  खेत तैयार करने की विधि(pineapple farm land’s preparation process)

अनानास के खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले गर्मी के मौसम में खेत को ठीक से जोतना चाहिए और उसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए. उसके बाद खेत में गोबर की खाद को मिलकर रोटावेटर की सहायता से मिट्टी को भुरभुरा बना देना चहिए ताकि अनानास का फल ठीक से बढ़ सके.

 अनानास की रोपाई करने का तरीका( Tips for pineapple planting)

अनानास के खेत को तैयार करने के बाद पौधे की रोपाई लम्बाई-चौड़ाई को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए. जैसे पौधे से पौधे की दूरी 90 से.मी. और 15 से 30 से.मी. गहरी खाईयां बना पौधे की रोपाई करें.

अनानास की सिंचाई करने का सही तरीका( Irrigation system for pineapple farming)

अनानास की सिंचाई करने के लिए मौसम का ध्यान रखना जरुरी है. जैसे अनानास के पौधे का रोपण बारिश के मौसम में किया जाता है तो इसमें सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती है. इसमें सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि को अपनाना सबसे उपयुक्त रहता है. पौधों के अंकुरित होने के बाद 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए.

महत्वपूर्ण सूचना

अनानास की खेती करने वाले किसानों से अनुरोध है कि हमें केरल में 26 क्विंटल क्यू और क्वीन किस्म के अनानास की वैकल्पिक दिनों (यानि एक दिन छोड़कर) में आवश्यकता है. जो भी किसान भाई इस आपूर्ती को पूर्ण कर सकता है, इस नंबर 9818030597 पर संपर्क करें. 

English Summary: know here the whole process of pineapple farming Published on: 24 August 2022, 06:16 PM IST

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