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गौमूत्र स्प्रे का उपयोग करके किसान बन रहे हैं आत्मनिर्भर, यहां जानें इसे बनाने की विधि

गौमूत्र से बना कीटनाशक आज के समय में किसानों के बीच बड़ा प्रसिध्द हो रहा है और साथ ही यह किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायता कर रहा है. आइए जानते हैं आज के इस के लेख में गौमत्र पर हो रहे अलग-अलग प्रयोगों के बारे में..

देवेश शर्मा

भारत खेती-किसानी करने वाला देश है. ऐसे में यहां पर खेती के साथ-साथ पशुपालन करना एक आम बात है, लेकिन इस आम सी लगने वाली बात में खास यह है कि इन दिनों गाय के मूत्र से कीटनाशक का छिड़काव करने की स्प्रे तैयार की जा रही है. इसके साथ ही किसानों की आबंदनी में बढ़ोत्तरी की जा रही है.

वैज्ञानिकों का इस संबंध में मानना है कि रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से उजड़ी धरती को बचाने के लिए गाय का गोबर और गौमूत्र अमृत के समान है. इसके इस्तेमाल से मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, जिसके चलते खराब भूमि भी वापस ठीक होने लगती है. इस काम में गौमूत्र भी अहम भूमिका अदा करता है.

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इस तरीके से हो रहा है गौमूत्र का इस्तेमाल

गौमूत्र और देसी गाय का गोबर खेती की बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक खेती में बढ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ये खेती में आने वाली लागत को कम करके किसानों के खर्च को काफी हद तक बचाता है.

पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में फसलों पर इसके इस्तेमाल को काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है. खासकर छत्तीसगढ़ सरकार गौमूत्र से कीटनाशक और उर्वरक बनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं और पशुपालकों से गौमूत्र भी खरीद रही है. 

बीज उपचार के लिए हो रहा है गौमूत्र का इस्तेमाल

खेत की बुवाई करने से पहले बीज का उपचार किया जाता है. इन दिनों गौमूत्र का इस्तेमाल कर बीज का उपचार कुछ इस प्रकार किया जा रहा है 

  • बीजों का उपचार करने के लिए भारतीय नस्ल की गाय का 40 लीटर गौमूत्र पानी में मिला लेना चाहिए. इसके बाद खाद्यान्न फसल, दलहन, तिलहन और सब्जी फसलों के बीजों को 4 से 6 घंटे तक भिगोकर रखना चाहिए.

  • बीजों के उपचार की इस प्रक्रिया के बाद इनका अंकुरण जल्दी होता है.

कीटनाशक के रुप में गौमूत्र का इस्तेमाल

गौमूत्र से बना कीटनाशक आम रासायनिक कीटनाशकों से ज्यादा प्रभावी और शक्तिशाली होता है. इसे फसल की सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके छिड़काव से पत्ती खाने वाले कीड़े, फल छेदक कीड़े और तना छेदने वाले कीटों पर नियंत्रण में भी काफी मदद मिलती है. कीटनाशक बनाने के लिए गौमूत्र के साथ-साथ नीम की पत्तियां, तंबाकू की सूखी पत्तियां, लहसुन, छाछ आदि का इस्तेमाल करके घोल बनाया जाता है, जिसका छिड़काव करने पर कीटों की समस्या भी टल जाती है.

English Summary: know here the benefits and uses of gaumutra spray Published on: 08 August 2022, 03:33 PM IST

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