अदरक की खेती कि शुरुआत दक्षिणी और पूर्व एशिया में यानि भारत तथा चीन से मानी जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम जिनजिबेर ओफिसिनेल है तथा भारतीय भाषाओं में इसे अदरक, आदा, आल्लायु, आदू समेत अनेक नामों से जाना जाता है. अदरक की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है. तो आइए जानते हैं अदरक की आधुनिक खेती कैसे करें.
अदरक की खेती के लिए जलवायु-
अदरक की खेती के लिए गर्म और आर्द्रता जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. इसके लिए तापमान 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए. जिन क्षेत्रों में सालाना वर्षा 1500 से 1800 मि.मी. हुई हो वहां अदरक की खेती की जा सकती है.
अदरक की खेती के लिए भूमि
वहीं इसकी खेती के लिए जीवांशयुक्त बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. वहीं मिट्टी का पीएचमान 5.6 से 6.5 होना चाहिए तथा खेत में जल निकासी की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए. वहीं खेती के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए जिससे भूमि जनित रोगों से निजात मिलती है.
अदरक की खेती के लिए खेत की तैयारी
सबसे पहले मार्च या अप्रैल महीने में खेत की गहरी जुताई करके छोड़ दें ताकि मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग सकें. इसके बाद मई माह में खेत की जुताई हैरो या रोटावेटर से करके मिट्टी को भूरभूरी बना लें. इसके बाद खेत में गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट डाल दें तथा इसके बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर लें. इसके बाद खेतों में अच्छी तरह से क्यारियां बनाकर उसमें खाद एवं उर्वरक की अनुशंसित मात्रा डाल दें. वहीं शेष मात्रा खड़ी फसल में समय-समय पर दें.
अदरक की खेती के लिए बीज
किसी भी फसल के लिए सही बीज का चुनाव जरूरी होता है. अदरक की खेती के लिए ढाई से 5 सेंटीमीटर लंबाई के कंदों का चुनाव करें जिनका वजन 20 से 25 ग्राम तक हो. वहीं प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल प्रकंदों की जरूरत पड़ती है.
अदरक की खेती के लिए बुवाई
दक्षिण भारत में अदरक लगाने का सही समय अप्रैल और मई महीना है. वहीं अदरक की खुदाई दिसंबर महीने में कर ली जाती है. जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में अदरक की खेती मार्च महीने में की जाती है. जहां पानी की पर्याप्त व्यवस्था वहां अदरक की खेती फरवरी महीने में करके अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है.
अदरक की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक
अच्छी पैदावार के लिए सड़ी हुई गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल डालें. वहीं नाइट्रोजन 75 किलोग्राम, फास्फोरस 50 किलोग्राम और पोटाश 149 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है. नाइट्रोजन की पहली मात्रा 40 दिनों बाद तथा दूसरी 90 दिनों बाद देना चाहिए. जबकि फास्फोरस प्रकंदों की रोपाई के समय ही दे देना चाहिए.
अदरक की खेती के लिए निराई गुड़ाई
समय-समय पर खेत की निराई गुड़ाई करते रहे. वहीं जब पौधा 20 से 25 सेंटीमीटर का हो जाए तब पौधे पर मिट्टी चढ़ा दें. जब अदरक का कंद बनने लगे उस समय कुछ कल्ले निकलने लगते हैं जिन्हें खुरपी की मदद से हटा देना चाहिए.
अदरक की खेती के लिए प्रमुख किस्में
इसकी प्रमुख उन्नत किस्में इस प्रकार है जैसे मारन, चाइना, रियो डे जिनेरियो, थिंगपुरी, नाडिया, वायनाड, कारकल, वेनगार, नारास्सपट्टानम आदि है.
अदरक की खेती के लिए खुदाई
अदरक की खुदाई उस समय करना चाहिए जब रोपण के 8 से 9 महीने बाद पौधे की पत्तियां पीली होकर सुखने लगे. खुदाई फावड़े या कुदाली की मदद से की जा सकती है. खुदाई के दौरान इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बहुत सुखा या बहुत नमी कंद को नुकसान पहुंचाती है. खुदाई के बाद कंद को 6 से 7 घंटे तक पानी में डुबोकर रखें. अदरक की धुलाई के बाद इसे सोडियम हाइड्रोक्लोरोइड के 100 पीपीएम के घोल में 10 मिनट तक डुबोए. इस कंद की भंडारण क्षमता में इजाफा होता है.
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