
खरीफ सीजन में बोई जाने वाली सबसे प्रमुख फसल ‘धान’ है और अगर किसान उन्नत किस्म के बीज का चयन करें, तो पैदावार के साथ मुनाफा भी अधिक मिलेगा. आज हम आपको धान की एक विशेष किस्म ‘पूसा सुगंध 3’ के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो उच्च उत्पादन क्षमता के साथ बाजार में अच्छे दाम भी दिलाती है. मानसून के समय से आने की संभावना और ‘पूसा सुगंध 3’ जैसी उन्नत किस्मों के उपयोग से इस बार धान की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है. यदि किसान समय पर खेत की तैयारी, बीज उपचार, खाद और सिंचाई व्यवस्था पर ध्यान दें, तो धान की इस किस्म से बेहतर उपज और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
उच्च गुणवत्ता वाली बासमती किस्म
पूसा सुगंध 3 एक बौनी, सुगंधित और बासमती किस्म है जिसे 2001 में सीवीआरसी द्वारा मंजूरी मिली थी. इसे खास तौर पर उत्तर भारत के बासमती उगाने वाले राज्यों जैसे – पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के लिए विकसित किया गया था. इस किस्म की खासियत है कि इसके दाने अतिरिक्त लंबे होते हैं, इनमें बेहतरीन सुगंध और खाना पकाने की अच्छी गुणवत्ता होती है. यह किस्म बिखरने के प्रति सहनशील होती है, हालांकि यह प्रजनन अवस्था में लवणता के प्रति थोड़ी संवेदनशील होती है.
बुवाई का समय और तरीके
‘पूसा सुगंध 3’ धान की बुवाई का सही समय मई से जुलाई के पहले सप्ताह तक होता है. वहीं इसकी रोपाई का उपयुक्त समय जून के दूसरे सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक माना गया है.
- पंक्ति से पंक्ति की दूरी: 20 सेंटीमीटर
- पौधे से पौधे की दूरी: 15 सेंटीमीटर
बीज उपचार
बीजों की बुवाई से पहले उनका उपचार करना अत्यंत आवश्यक है ताकि फसल रोगों से बच सके.
इसके लिए:
- 10 ग्राम बाविस्टिन
- 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसागिसन
- इन दोनों को 8 लीटर पानी में मिलाकर बीजों को 24 घंटे तक भिगोकर रखें.
- यह मिश्रण लगभग 5 किलो बीजों के लिए पर्याप्त होता है.
खाद प्रबंधन
‘पूसा सुगंध 3’ में प्रति एकड़ खेत के लिए खाद की आवश्यकता इस प्रकार होती है:
- नाइट्रोजन (N): 48 किलो
- फॉस्फोरस (P): 24 किलो
- पोटाश (K): 24 किलो
इस अनुपात से खाद देने पर फसल की वृद्धि तेज होती है और उत्पादन में वृद्धि देखी जाती है.
खरपतवार नियंत्रण
यदि खेत में अधिक खरपतवार हो, तो नर्सरी में प्रिटी लक्कनर + सैफनर का उपयोग करना चाहिए. इससे पौधों की वृद्धि बाधित नहीं होती और पोषक तत्व फालतू पौधों में नहीं जाते.
कीट व रोग नियंत्रण
धान की इस किस्म में कीट व रोगों से बचाव के लिए निम्न रसायनों का उपयोग करें:
- क्लोरोपायरीफॉस (Chlorpyrifos): 5 लीटर प्रति एकड़
- क्लोरोपाइरीफॉस (अलग फॉर्मूलेशन): 500 मिली प्रति एकड़
इन दवाओं के प्रयोग से कीड़ों और बीमारियों से फसल को सुरक्षा मिलती है.
सिंचाई व्यवस्था
पूसा सुगंध 3 धान की सिंचाई समय-समय पर आवश्यकता अनुसार करनी चाहिए.
- रोपाई के बाद पहली सिंचाई जरूरी होती है
- फिर मिट्टी के अनुसार हर 7-10 दिन पर सिंचाई करें
खरपतवार नियंत्रण और नमी बनाए रखने के लिए भी सिंचाई महत्वपूर्ण होती है.
फसल की कटाई
पूसा सुगंध 3 धान किस्म 120 से 125 दिनों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती है. इसके बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
उत्पादन क्षमता और मुनाफा
इस किस्म से प्रति एकड़ 40 से 45 क्विंटल तक उपज मिल सकती है. इसके अलावा, बासमती होने के कारण बाजार में इसका दाम सामान्य धान के मुकाबले अधिक होता है. इससे किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त होती है.
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