प्याज एक महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है. इसका उपयोग कई तरह से जैसे सलाद, सब्जी, अचार तथा मसाले के रूप में किया जाता है. भारत में प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यह अपने स्वाद, गंध, पौष्टिकता एवं औषधीय गुणों के कारण लोगों के लिए बहुत प्रिय है. इसकी मांग घरेलू तथा विदेशी बाजार में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
अगर प्याज की खेती (Farming Of Onion) की बात करें, तो महाराष्ट्र में लगभग 1.00 लाख हेक्टेयर में प्याज की खेती की जाती हैं. महाराष्ट्र के नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगांव, धुले, अहमदनगर, सतारा प्याज उगाने के लिए प्रसिद्ध हैं. इसके अलावा मराठवाड़ा, विदर्भ और कोंकण में भी प्याज की खेती की जाती है. नासिक जिला न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे भारत में प्याज उगाने के लिए प्रसिद्ध है. तो अगर आप भी प्याज की खेती कर अच्छा मुनाफा प्राप्त कमाना चाहते हैं, तो आज हम आपको इसकी खेती करने के लिए कुछ जरुरी बातें बताने जा रहे हैं.
प्याज की खेती के लिए जरुरी बातें (Important Things For Onion Cultivation)
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प्याज की खेती के लिए सर्दियों का मौसम बहुत उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इसकी रोपाई करना ठंडे मौसम उपयुक्त माना जाता है. प्याज की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली नम मिट्टी और जैविक खाद से भरपूर मध्यम से कठोर मिट्टी में अच्छी मानी जाती है.
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प्याज की खेती में जुताई की प्रतिक्रिया लंबवत और क्षैतिज रूप से करनी चाहिए और गांठों को तोड़कर मिट्टी को समतल करना चाहिए.
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प्याज की खेती उपयुक्त सिंचाई समय 6 से 8 दिन के अंतराल पर अच्छी मानी जाती है.
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प्याज की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved Varieties for Onion Cultivation)
प्याज की अच्छी उपज का लिए उन्नत किस्मों की जानकारी होना चाहिए, ताकि फसल का उत्पादन और आय अच्छी हो. बता दें कि प्याज की बासवंत 780 किस्म उत्पादन के मामले में अच्छी मानी जाती है. यह किस्म 100 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके अलावा प्याज की एक और किस्म है, जिसका नाम N-53 है. यह किस्म 100 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है. इसका रंग चमकीला लाल होता है. इसकी उत्पादन क्षमता 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
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