मटन वो भी वेज! यह सुनकर आप हैरान हो गए होंगे. अगर आप मांसाहारी नहीं है और मटन की तरह स्वाद लेना चाहते हैं, तो आप झारखंड में वेज मटन का आनंद ले सकते हैं. दरअसल, औषधीय गुणों से भरपूर रुगडा मशरूम (Rugda Mushroom) का स्वाद बिल्कुल मटन जैसा होता है. यह थोड़ा महंगा है, लेकिन बहुत स्वादिष्ट होता है.
खास बात यह है कि यह मशरूम झारखंड में ही पाया जाता है. मशरूम प्रजाति का रुगडा बरसात के शुरुआती दिनों में ही पाया जाता है. आपको बता दें कि रुगडा की खेती नहीं की जाती है, इसकी उपज प्राकृतिक होती है. यह साल के पेड़ के आसपास के जंगलों में पाया जाता है. मशरूम की इस किस्म में प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
ये है रोजी रोटी का जरिया
रुगडा बारिश के मौसम में जंगल के आसपास रहने वाले लोगों की आजीविका का भी जरिया है. स्थानीय ग्रामीण समूह बनाकर इसे लेने के लिए जंगल में जाते हैं. वहीं रुगडा मशरूम की बरसात के दिनों में काफी डिमांड रहती है. मशरूम प्रजाति की दुम एक छोटे आलू की तरह दिखती है. शाकाहारियों को इस मौसम का साल भर इंतजार रहता है. मटन-चिकन साल भर मिलता है, लेकिन मटन-स्वाद वाला रुगडा एक महीने के लिए ही मिलता है.
कई बीमारियों से बचाता है यह वेज मटन
रुगडा कई बीमारियों की दवा भी है. इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो इंसानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं. उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के अलावा, विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, राइबोलोन, थायमिन, विटामिन बी 12, फोलिक एसिड और लवण, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, तांबा और विटामिन डी पाए जाते हैं. इसके अलावा अस्थमा, कब्ज और कई चर्म रोगों में इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है. इसके अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने ने में भी रुगडा काफी मददगार साबित हुआ है.
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2 हजार रुपए तक बिकता है रुगडा मशरूम
झारखंड के जायके की एक अलग पहचान रखने वाले रागड़ा और खुकड़ी का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. जैसे ही मानसून शुरू होता है, वे इसे जंगलों से उठाकर बाजार में बेचने के लिए लाते हैं. शुरुआती दिनों में रुगडा 400 से 500 रुपये से दो हजार रुपये प्रति किलो तक बिकता है.
कई नामों से है मशहूर
इसे भूमिगत मशरूम के रूप में भी जाना जाता है. रुगडा मशरूम का वैज्ञानिक नाम लिपोन क्षमा है. इसे पफ वाल्व भी कहा जाता है. इसे पुतो और पुटकल के नाम से जाना जाता है. मशरूम की प्रजाति होने के बावजूद अंतर यह है कि यह भूमिगत पाया जाता है. रुगडा की 12 प्रजातियां हैं. सफेद रंग का रुगडा सबसे अधिक पौष्टिक माना जाता है. रुगडा मुख्य रूप से झारखंड में और आंशिक रूप से उत्तराखंड, बंगाल और ओडिशा में होता है. रुगड़ा में साधारण मशरूम की तुलना में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं.
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