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जानिए क्या है मटका सिंचाई और पेड़-पौधों को इससे कैसे ज्यादा मिलता है लाभ

देश के हर क्षेत्र में किसान खेती करते हैं, जो कि सिंचाई पर निर्भर होती है. अगर फसल में सिंचाई कम या ज्यादा हो जाए, तो फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में खेतीबाड़ी में सिंचाई की एक मुख्य भूमिका है. अगर राजस्थान के किसानों की बात की जाए, तो यहां कम पानी में रेतीले और सूखे जंगलों में पेड़ लगाना, साथ ही उसका विकास करना पाना काफी मुश्किल है. मगर अब इस काम को संभव किया जा सकता है.

कंचन मौर्य
Matka

देश के हर क्षेत्र में किसान खेती करते हैं, जो कि सिंचाई पर निर्भर होती है. अगर फसल में सिंचाई कम या ज्यादा हो जाए, तो फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में खेतीबाड़ी में सिंचाई की एक मुख्य भूमिका है. अगर राजस्थान के किसानों की बात की जाए, तो यहां कम पानी में रेतीले और सूखे जंगलों में पेड़ लगाना, साथ ही उसका विकास करना पाना काफी मुश्किल है. मगर अब इस काम को संभव किया जा सकता है.

दरअसल, राजस्थान वन विभाग ने मिट्टी के मटकों वाली पद्धति का सहारा लिया है, जिससे कम पानी में पेड़ों को उगाना संभव हो गया है. इस नई तकनीक को मटका सिंचाई (Matka irrigation) से जाना जाएगा. इतना ही नहीं, इस तकनीक से पौधे शत-प्रतिशत जीवित रह सकते हैं, साथ ही 20 से 30 प्रतिशत तेजी से ग्रोथ भी कर सकते हैं. किसानों के लिए यह नई तकनीक बहुत लाभकारी साबित होगी. आइए आपको मटका सिंचाई की पूरी जानकारी देते हैं.

क्या है मटका सिंचाई

इन मिट्टी के मटकों को पेड़ या पौधे की जड़ों के पास जमीन में दबा दिया जाता हैं, साथ ही इसमें पानी भरकर रख देते हैं. इसके बाद मटके के तले में एक छोटा सा सुराख किया जाता है, जिससे पौधे की जड़ों में पानी बूंद-बूंद करके टपकता रहता है. इस तरह पौधे की जड़ों में नमी बनी रहती है. इस कारण पौधा हरा-भरा रहता है और पेड़ जलता नहीं है.

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metti ka matka

गर्मियों में जल जाते थे पौधे

कई सालों से झालाना जंगल में बड़ी सख्या में प्लांटेशन किया गया, लेकिन बारिश कम होने की वजह से पौधे गर्मियों में जल जाते थे. ऐसे में मटका विधि को अपनाया गया. इस विधि ने चौंका देने वाला परिणाम दिया है. झालाना लेपर्ड सफारी जंगल के वन अधिकारी की मानें, तो मटका विधि से सिंचाई करने के बाद सामान्य विधि से लगाए गए पौधों से ज्यादा अच्छा परिणाम मिला है. 

मटका विधि की खासियत

  • पौधे को जितने पानी की जरूरत होगी, उतना ही पानी मटकों से निकलता है.

  • सर्दियों में पानी ज्यादा समय तक चलता रहेगा.

  • गर्मियों में मटके का पानी 3 दिन से सप्ताह भर तक चल जाएगा.

  • इस तकनीक से पेड़-पौधों की ग्रोथ में सुधार होगा.

  • कम लागत में फसलो की सिंचाई की जा सकती है.

  • मटका विधि से समय की बचत होगी.

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English Summary: Information on pot irrigation method Published on: 02 August 2020, 03:32 PM IST

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