देश-विदेश में आज तिल की मांग (Demand of sesame) बहुत ज्यादा है. यह ना सिर्फ स्वाद की दृष्टि से बेजोड़ है बल्कि इसका औषधीय उपयोग भी बहुतायत में होता है. तिल भारत की प्रमुख व्यापारिक फसलों में से भी एक है. इसकी खेती करके किसान भाई बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं. आज हम आपको तिल के उपयोग और तिल की खेती के बारे में बताएंगे.
तिल (Sesame) का सामान्य परिचय (general information)
तेल (oil) शब्द की उत्पत्ति 'तिल' से ही हुई है. विश्व में तेल की लगभग 34 किस्में पाई जाती हैं जिनमें से 8 किस्में भारत में प्रचलित हैं. आपको बता दें कि तिल में लगभग 50% मात्रा तेल की होती है. तिलों को लेकर एक कहावत प्रचलित है. जब किसी व्यक्ति में कोई दमदार बात नहीं होती तो कहा जाता है- "इन तिलों में तेल नहीं" आपको यह भी बता दें कि दुनिया में पहली बार तेल का उत्पादन तिल से ही किया गया था. तिल को स्नेहफल भी कहा जाता है. हिंदी में इसे तीली या तिल्ली भी कहते हैं और अंग्रेजी में इसे सीसेम (sesame)कहा जाता है.
स्वास्थ्यवर्धक है तिल (Sesame seeds are healthy)
तिल का तेल स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत उपयोगी होता है क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन आदि पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें प्राकृतिक रसायनों से भरपूर तत्व भी मिलते हैं. तिल का उपयोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए भी किया जाता है.
तिल के पौधे की विशेषताएं (Sesame seeds are healthy)
तिल का पौधा 30 से 60 सेंटीमीटर ऊंचा होता है. यह शाखाओं वाला भी हो सकता है और बिना शाखाओं वाला भी. इसकी महक बहुत तेज होती है. इसका तना पतला और रोम छिद्रों वाला होता है. इसके ऊपरी भाग की शाखाएं और तना चतुष्कोण की आकृति का और खांचों वाला होता है. इस पौधे की खासियत है कि इस पर स्थान स्थान पर स्त्रावी ग्रंथियां मिलती हैं . इसके पत्ते बड़े, पतले, कोमल और रोमयुक्त होते हैं. इसके ऊपर के हिस्से के पत्ते कुछ ज्यादा लंबे होते हैं जो 6 से 15 सेंटीमीटर लंबे और 3 से 10 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं.
कैसे होते हैं तिल के फूल (What are sesame flowers like?)
इसके फूलों का रंग बहुत प्यारा होता है -बैंगनी - गुलाबी अथवा सफेद - बैंगनी रंग के पीले रंग के चिन्नू वाले फूल बहुत खूबसूरत दिखते हैं.
तिल की फली और बीज (sesame pods and seeds)
इसकी फली ढाई सेंटीमीटर लंबी और 6 मिलीमीटर चौड़ी होती है. इसके बीज रोम वाली सीधी चतुष्कोण है और खाली होती है खाटू की संख्या चार होती है.
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कैसे होते हैं तिल के बीज (What are sesame seeds like?)
तिल के बीज 2.5 से 3 मिमी लंबे और 1.5 मिमी चौड़े होते हैं. इनका रंग भूरा या सफेद होता है.
कब आते हैं तिल के पौधों पर फूल (When do sesame plants flower?)
तिल के पौधे पर फूल अगस्त से अक्टूबर के महीने में आते हैं और फल भी इसी महीने में देखने को मिलते हैं. हम सभी जानते हैं कि जाड़े की ऋतु में तिल से बनी चीजें जैसे तिल के लड्डू और रेवड़ी, तिलपट्टी और गजक खूब स्वादिष्ट लगती हैं.
गुड़ का साथ पाकर तो तिल बेमिसाल हो जाते हैं. शायद ही कोई ऐसा हो जिसे तिल पसंद ना हो.
कैसा होता है तिलों का रंग (What is the color of sesame?)
यूं तो तिलों के 6 रंग बताए गए हैं लेकिन इसके दो रंग विशेष रूप से पाए जाते हैं - काला तथा सफेद.
बहुउपयोगी है तिल (Sesame is versatile)
तिल का प्रयोग सिर्फ खाने में ही नहीं होता बल्कि इसका प्रयोग सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है. काले तिल में तेल की मात्रा 50% तथा सफेद तेल में 48% तक मिलती है.
तिल की परंपरागत खेती की उपयुक्त दशाएं (Suitable conditions for traditional sesame cultivation)
भारत में तिल को खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है. भारत में 1200 मीटर तक की ऊंचाई पर तिल की खेती बहुतायत में होती है. भारत में तेल को व्यवसायिक दृष्टि से ही नहीं निजी उपयोग की दृष्टि से भी उगाया जाता है और दोनों ही दृष्टि से परंपरागत खेती को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि तिल भारतवर्ष की प्रमुख व्यवसायिक फसल है तो इसका व्यवसायिक दृष्टि से तो बहुत महत्व है ही खानपान में भी इसके महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता यही कारण है कि तिल से बने उत्पादों का कारोबार करोड़ों में होता है.
कहाँ होती है तिल की खेती (Where is sesame cultivated?)
देश में तिल की खेती राजस्थान,पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलांगना, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में की जाती है तथा यूपी का बुंदेलखंड जिला तिल उत्पादन के मामले में सबसे आगे है.
तिल की खेती के लिए कैसी हो भूमि (What should be the land for sesame cultivation?)
जल निकासी की उचित व्यवस्था वाली जमीन को तिल की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसे किसी भी तरह की उपजाऊ मिट्टी में बहुत ही आसानी से उगाया जा सकता है. भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए.
आवश्यक जलवायु (Necessary climate)
तिल की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त है. इसे खरीफ की फसल के साथ गर्मियों में उगाया जाता है . उष्ण जलवायु में पौधों का विकास ठीक तरह से होता है. इस फसल को वर्षा की आवश्यकता नहीं होती. सर्दी आने से पहले ही इसकी कटाई कर लेना ठीक रहता है. तिल के पौधों को सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है. 40 डिग्री तक के तापमान को ये पौधे आसानी से सह लेते हैं.
तिल की उन्नत किस्में (Sesame Improved Varieties)
तिल की प्रचलित उन्नत किस्में हैं - टी.सी. 25, आर.टी. 46,टी. 13,आर. टी. 125,टी 78,आर. टी. 127,आर. टी. 346कुछ अन्य किस्में भी हैं जिन्हें अधिक उत्पादन के लिए प्राथमिकता दी जाती है - हरियाणा तिल 1, सी ओ- 1, तरुण, सूर्या, बी- 67, प्यायूर- 1, शेखर और सोमा, पंजाब तिल 1, टी एम वी- 4, 5, 6, चिलक रामा एवं गुजरात तिल 4
ऐसे करें खेत तैयार (Prepare the field like this)
आरंभ में दो से तीन तिरछी जुताई कर लें और फिर उसके बाद इसे खुला छोड़ दें. यदि इसमें एक जुताई के तुरंत बाद पुरानी गोबर की खाद डाल दी जाए तो यह तिल की फसल के लिए बहुत अच्छी रहेगी. खेत में पानी डालकर इसे सूखने के लिए छोड़ दें. खेत के सूखने के बाद रोटावेटर लगाकर दो से तीन तिरछी जुताई कर लें और फिर पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें. इसके बाद तिल के खेत में 25 किलो यूरिया की मात्रा का छिड़काव सिंचाई के साथ प्रति हेक्टेयर खेत में करना जरूरी है.
इस तरह करें बीजों की रोपाई (Plant seeds like this)
प्रति हेक्टेयर के खेत के हिसाब से 3 किलो बीज डाले जा सकते हैं. बीजों की रोपाई पंक्तियों में करें और इन पंक्तियों के बीच 1 फीट की दूरी रखें और बीजों को 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपें. बीजों की रोपाई के लिए जून का महीना सबसे अच्छा माना जाता है .
कैसे करें सिंचाई (how to irrigate)
तिल के पौधों को पानी की बहुत कम जरूरत होती है . रोपाई के एक माह पश्चात हल्की फुल्की सिंचाई की जा सकती है और दूसरी सिंचाई पौधों पर दाने आने के बाद करें. जब बीज पकने लगें तो एक बार फिर से सिंचाई की जा सकती है . तिल के पौधे मात्र 2 से 3 सिंचाई के बाद ही तोड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
कैसे करें खरपतवार नियंत्रण (How to control weeds)
खेत में एलाक्लोर के छिड़काव के जरिए खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है.
कब करें फसल की कटाई (When to harvest crops)
फसल की कटाई रोपाई के 80 से 100 दिन के पश्चात की जा सकती है. फसल की कटाई के बाद फसल को धूप में अच्छी तरह से सुखा दिया जाता है . सूखे पौधे से तिल अलग कर इकट्ठा कर लिया जाता है.
कितनी होगी पैदावार और कैसा होगा मुनाफा (What will be the yield and what will be the profit?)
तिल की उन्नत किस्में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 8 से 10 क्विंटल तक का उत्पादन आराम से दे देती हैं जिसका बाजारी भाव सामान्यतया 8000 प्रति क्विंटल होता है. इससे हमारे किसान प्रति हेक्टेयर खेत में एक बार की फसल से ही 50000 से ज्यादा की आमदनी आराम से कर सकते हैं.
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