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बेबी कॉर्न की खेती का महत्व

बेबी कॉर्न मक्का का भुट्टा है, जो भुट्टाके ऊपरी भाग में आयी रेशमी कोपलों की अवस्था आने के1 से 3 दिन के अन्दर पौधे सेतोड़ लिया जाता है. इस अवस्था में दाने अनिषेचित(परगण रहित) होते हैं.

हेमन्त वर्मा
Baby Corn Farming
Baby Corn Farming

बेबी कॉर्न मक्का का भुट्टा है, जो भुट्टाके ऊपरी भाग में आयी रेशमी कोपलों की अवस्था आने के1 से 3 दिन के अन्दर पौधे सेतोड़ लिया जाता है. इस अवस्था में दाने अनिषेचित(परगण रहित) होते हैं. अच्छे बेबी कॉर्न की लम्बाई 6 से 10सेंटीमीटर, व्यास 1 से 1.5 सेंटीमीटर एवं रंग हल्कापीला होना चाहिये. यह फसल खरीफ मेंलगभग 50 से 60 दिनों,रबी में 110 से120 दिनों एवं जायद (वसंत) में 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है.

एक वर्ष में बेबी कॉर्न की 3 से 4 फसलें आसानी से ली जा सकती हैं. बेबी कॉर्न की अच्छी मार्केटिंग और डिब्बाबंदी (Canning) होने से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है. इसका उत्पादन विश्व के कई देशों में होता है एवं विभिन्न व्यंजनों के रूप में उपयोग में लायाजाता है. इसके खेती से पशुओं के लिए हरा चाराभी मिल जाता है.

बेबी कॉर्न का पोषक महत्व (Nutritional Value of Baby Corn)

यह एक स्वादिष्ट पौष्टिक आहार है एवं पत्तों मेंलिपटे रहने के कारण रसायनिक प्रभाव से लगभग मुक्त रहता है. इसमें फोस्फोरस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है. इसके अलावा इसमें कार्बोहाईड्रेट्स, प्रोटीन,कैल्सियम, लोहा व विटामिन भी पाई जाती है. पाचन (डाइजेशन) की दृष्टी से भी यह एकअच्छा आहार माना जाता है.

बेबी कॉर्न का उपयोग (Baby Corn Usage)

इसे कच्चा या पकाकर खाया जा सकता है. इसके अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैंजैसे- सूप, सलाद, सब्जियाँ, कोफ्ता, पकौड़ा, भुजिया, रायता, खीर, लड्डू, हलवा, आचार, कैन्डी,मुरब्बा, बर्फी, जैम आदि.

बेबी कॉर्न उत्पादन की विधि (Baby Corn Production Method)

बेबी कॉर्न की उत्पादन तकनीक कुछ विभिन्नता के अलावा सामान्य मक्का की ही तरह है. ये विभिन्नताएँ इस प्रकार है, जैसे- अगेती परिपक्वता (जल्द तैयार होने वाली) वालीएकल क्रास संकर मक्का की किस्मों को उगाना,पौधों की अधिक संख्या, झुंडां को तोड़ना,भुट्टा में सिल्क आने के 1 से 3 दिन के अन्दरभुट्टा की तुड़ाई और बेबी कॉर्न की अधिक पैदावार लेने के लिए निम्नविधियों को अपनाना चाहिए, जो इस प्रकार है-

तुड़ाईः बेबीकॉर्न की तुड़ाई के लिये बेबी कॉर्न की भुट्टा को 1 से 3सेंटीमीटर सिल्क आने पर तोड़ लेनी चाहिए. भुट्टा तोड़ते समय उसके ऊपर की पत्तियों को नहीं हटाना चाहिए क्योंकि पत्तियों को हटाने से ये जल्दी खराब हो जाती है.खरीफ में प्रतिदिन और रबी में एक दिन केअन्तराल पर सिल्क आने के 1 से 3 दिन केअन्दर भुट्टों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए. सिंगल क्रॉस संकर मक्का में 3 से 4 तुड़ाई जरूरी होती है. तुड़ाई के बाद बेबी कॉर्न का छिलका उतार लेना चाहिए. यह कार्य छायादार एवं हवादार जगहों पर करना चाहिए और ठंडी जगहों पर ही बेबी कॉर्न का भंडारण करनाचाहिए. छिलका उतरे हुए बेबी कॉर्न को ढे़र लगाकर नहीं रखना चाहिए, बल्कि प्लास्टिक की टोकऱी,थैला या अन्य कन्टेनर में रखना चाहिए. इसके अलावा बेबी कॉर्न को तुरंत मंडी या प्रोसेसिंग प्लान्ट में पहुँचा देना चाहिए.

बेबी कॉर्न की प्रोसेसिंग (Baby Corn Processing)

नजदीक के बाजार में बेबी कॉर्न (छिलका उतरा हुआ) को बेचने के लिये छोटे-छोटे पोलिबैग में पैकिंग किया जा सकता है.

इसे अधिक समय तक संरक्षित रखने के लिये काँच की पैकिंग सबसे अच्छी होती है. इससे बेबी कॉर्न को डिब्बा में बंद करके दूर के बाजार या अन्तराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जा सकता है.

काँच के डब्बे में 52 प्रतिशत बेबी कॉर्न और48 प्रतिशत नमक का घोल होता है.

बेबी कॉर्न की डिब्बाबंदी (Canning of Baby corn)

कॉर्न की सफाई की जाती है और ग्रेडिंग की जाती है. फिर उबाल कर सुखाया जाता है. डिब्बों में डालकर उसमें नमक का घोल भी डाला जाता है. बेबी कॉर्न को डिब्बा में डालने के बाद 2 प्रतिशत नमक और 98 प्रतिशत पानी का घोलबनाकर या 3 प्रतिशत नमक, 2 प्रतिशत चीनी, 0.3 प्रतिशत साइट्रिक एसिड और शेष पानी का घोल बनाकर डिब्बा में डाल देना चाहिए. इसके बाद डिब्बे को स्ट्रेलाइज कर हवा निकाली जाती है. फिर डिब्बा बंद करना, ठंडा करना, गुणवत्ता की जाँच करना आदि कार्य किए जाते है.

बेबी कॉर्न से आर्थिक लाभ (Financial Benefits from Baby Corn)

बेबी कॉर्न की एक साल में 3 से 4 फसले ली जा सकती है, इस प्रकार से 1 से 1.5 लाख शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते है, प्रतिएकड़ इसके अलावा अतिरिक्त लाभ लेने के लियेबेबी कॉर्न के साथ अंतरवर्ती फसल (inter cropping) भी ली जासकती है. चारा प्राप्त हो जाता है जिससे पशुपालन को बढ़ावा मिलता है.

English Summary: Importance of Baby Corn Farming Published on: 23 April 2021, 05:34 PM IST

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