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आईएआरआई द्वारा विकसित धान, खीरा और गेहूं समेत बेहतर उपज प्रदान करने वाली उन्नत किस्में

बीज की अधिक पैदावार देने वाली किस्में जहां एक ओर सामान्य गुणवत्ता वाले बीज की अपेक्षाकृत बेहतर होती हैं. तो वहीं, इन बीजों से उत्पादन सामान्य बीजों की तुलना में अधिक होता है. इस तरह के बीज स्वस्थ और बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए बीजों का एक अच्छा विकल्प हैं. इन बीजों में कीड़ों और अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता के अलावा एक और विशेषता होती है वो यह है कि इन बीजों को सिंचाई की कम जरूरत होती है. इन बीजों का भारतीय कृषि में हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है. नई कृषि नीति के तहत, बेहतर उपज वाले बीजों की किस्मों के विकास और उन्हें अपनाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. ताकि कम लागत में किसानों की आय में वृद्धि की जा सकें. ऐसे में आइए जानते है भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित उन्नत क़िस्मों के बारें में -

विवेक कुमार राय
Seed Variety
Seed Variety

बीज की अधिक पैदावार देने वाली किस्में जहां एक ओर सामान्य गुणवत्ता वाले बीज की अपेक्षाकृत बेहतर होती हैं. तो वहीं, इन बीजों से उत्पादन सामान्य बीजों की तुलना में अधिक होता है. इस तरह के बीज स्वस्थ और बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए बीजों का एक अच्छा विकल्प हैं. इन बीजों में कीड़ों और अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता के अलावा एक और विशेषता होती है वो यह है कि इन बीजों को सिंचाई की कम जरूरत होती है. 

इन बीजों का भारतीय कृषि में हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है. नई कृषि नीति के तहत,  बेहतर उपज वाले बीजों की किस्मों के विकास और उन्हें अपनाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. ताकि कम लागत में किसानों की आय में वृद्धि की जा सकें. ऐसे में आइए जानते है भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित उन्नत क़िस्मों के बारें में -

उन्नत किस्में और उपज (Advanced Varieties and Yields)

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित बासमती चावल की किस्में जैसे पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509 और अन्य बासमती की उन्नत किस्में जैसे पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1637 इत्यादि देश के लगभग 1.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती हैं और वर्ष 2018-19 के दौरान इसने रु. 32800 करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित की है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा जारी की गई गेहूं की किस्मों एचडी 2967, एचडी 3086 और अन्य किस्मों ने कुल मिलाकर देश के कुल गेहूं उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान दिया है जिससे रुपये 81000 करोड़ की कुल आय प्राप्त हुई है.

यहां पढ़ें पूरी खबर :  Wheat Variety: ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने नई तकनीक से उगाया गेहूं, कैंसर का खतरा होगा कम

आईएआरआई द्वारा विकसित उन्नत किस्में (Advanced varieties developed by IARI)

इस वर्ष, बेहतर पोषण और अधिक उपज एवं आय के लिए फसलों की 34 नई प्रजातियाँ विकसित की गई है जिसमें गेहूं (9), मक्का (4), चना (2) एवं मूंग , मसूर तथा सोयाबीन की एक-एक प्रजाति; सब्जियों की 11 किस्में;  फलों की चार (4) नई किस्में (आम की दो, प्यूमेलो और अंगूर में एक-एक) तथा फूलों की एक (ग्लेडियोलस) प्रजाति शामिल है.

बेहतर उपज प्रदान करने वाली किस्में (High yielding varieties)

पूसा अचार खीरा-8  (डी.जी.-8) कम लागत वाले पॉली-हाउस के अंदर सर्दियों के मौसम (ऑफ-सीज़न: नवंबर-मार्च) के दौरान 80-85 टन/हेक्टेयर की उपज प्रदान करेगा.

ग्रीष्मकालीन स्क्वैश पूसा श्रेयश (डीएस-17) पॉली-हाउस के अंदर सर्दियों के मौसम में 20.0-22.0 टन/हेक्टेयर उपज प्रदान करेगा. पूसा स्नोबॉल संकर-2 (केटीएच-डीएच-1) एफ1 संकर पर आधारित पहला दोगुना अगुणित है, पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित एफ1 संकर की तुलना में इसमें अधिक एकरूपता है. पूसा पर्पल फूलगोभी-1 (केटीपीसीएफ-1) बैंगनी रंग की है और गहरी रंजकता गोभी के फूल के अंदर होती है. कुल खाद्य भाग में औसत एंथोसाइनिन सांद्रण 43.7मिली ग्राम / 100 ग्राम है. औसत विक्रेय फूल का वजन 0.76 किलोग्राम है.

English Summary: IARI seeds varieties: Improved yield yielding varieties including paddy, cucumber and wheat developed by IARI Published on: 03 March 2020, 02:38 PM IST

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