ब्रोकली खाने में बेहद स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है. यह ब्रेसिक्का परिवार से ताल्लुक रखती है. इसी परिवार से फूलगोभी और पत्तागोभी भी सम्बन्ध रखते हैं. इसमें भी फूल गोभी की तरह है फूल के गुच्छे होते हैं. हालांकि इसके फूल फूलगोभी की तुलना में छोटे होते हैं. ब्रोकली की खेती किसानों के लिए बेहद लाभदायक हो सकती है. तो आइए जानते हैं ब्रोकली की उन्नत खेती कैसे करें.
ब्रोकली की खेती के लिए जलवायु (Climate for broccoli farming)
ब्रोकली की खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु उत्तम मानी जाती है. ठंड के छोटे दिनों में ब्रोकली के फूल अच्छा विकास करता है. यही वजह है कि नवंबर से फरवरी महीने का समय इसकी पैदावार के लिए उत्तम है. गर्मी के दिनों में ब्रोकली के फूलों की कलियां बिखर जाती है इसलिए यह समय इसके लिए उत्तम अच्छा माना गया है. ब्रोकली के फूल की कलियां बिखर जाने से इसकी मार्केट वैल्यू डाउन हो जाती है. पहाड़ी क्षेत्र ब्रोकली की खेती के लिए सर्वोत्तम होते हैं. क्योंकि इसके बीज का विकास भी पहाड़ी क्षेत्रों में ही होता है. जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. इन्हीं क्षेत्रों में इसका बीज तैयार होता है.
ब्रोकली खेती के लिए उत्तम मिट्टी (Best soil for Broccoli Farming)
इसकी खेती के लिए जीवांश वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है. हालांकि इसकी खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. यदि हल्की जमीन में जीवांश की मात्रा बढ़ा दें तो उसमें भी ब्रोकली की खेती की जा सकती है. लेकिन मिट्टी में उत्तम जल निकास होना बेहद जरूरी होता है.
ब्रोकली की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for broccoli cultivation)
सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहराई जुताई की जाती है. इसके बाद खेत में प्रति एकड़ 500 से 600 क्विंटल गोबर की खाद डालें. गोबर खाद डालने के बाद खेत की सिंचाई कर दें ताकि पौधा रोपण के समय खेत में पर्याप्त नमी हो. सिंचाई के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई कर पाटा लगाएं. इसके बाद देसी हल से दो जुताई करें और हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए.
ब्रोकली की प्रमुख किस्में (The major varieties of broccoli)-
ब्रोकली की उन्नतशील प्रजातियों में 9 स्टार,वाल्थम 29, एनएस 50, ब्रोकोली संकर-1, टीडीसी 6 प्रमुख हैं. वही इसकी हाइब्रिड किस्में पाइरेट पेक, केटीएस 9, पूसा ब्रोकली 1 आदि हैं.
ब्रोकली खेती के लिए बीजदर (Seed rate for broccoli farming)-
प्रति हेक्टेयर 300 से 400 ग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है.
ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी कैसे तैयार करें (How to prepare a nursery for broccoli farming)-
रोपाई से पहले ब्रोकली के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं. नर्सरी में बीज बोने से पहले फफूंदीजनित रोग से बचाने के लिए बीज को थिरम या बाविस्टीन से उपचारित करें. नर्सरी तैयार करने के लिए खेत में 2 लम्बाई की क्यारियां बना लें. क्यारियां सतह से 2 से 3 सेंटीमीटर ऊँची होनी चाहिए. ध्यान रहे क्यारियां ऐसी बनाना चाहिए कि पानी का सही निकास हो सकें. अब इसमें 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन बना लें. 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज डालें. हाथों से बीज पर मिट्टी कर दें और इसके बाद इस पर घासफूस डाल दें और फव्वारें से सिंचाई कर दें. बीजों में अंकुरण शुरू होने के बाद घासफूस को हटा दें. समय-समय पर खरपतवार हटाने के लिए निराई गुड़ाई करें. जब पौधा 25 से 28 दिन का हो जाए तब इसकी रोपाई कर देना चाहिए.
ब्रोकली की खेती के लिए रोपाई कैसे करें (How to plant for brokli farming)-
तैयार खेत में प्रति हेक्टेयर 100 से 120 किलो नाइट्रोजन, 40 से 45 किलो फॉस्फेट डालना चाहिए. वहीं इसमें पोटाश देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. नाइट्रोजन और फॉस्फेट की कुल मात्रा को बराबर भागों में बाँट कर पहली खुराक अंतिम पाटा के समय डालें. लाइन से लाइन की दूरी 40 से 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखें. पौधे को नर्सरी से निकालकर बाविस्टीन का घोल बनाकर पौधें को उपचारित करें. पौधों को एक घंटे तक बाविस्टिन के घोल डुबोकर रखें इसके बाद ही रोपाई करना चाहिए. रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई कर दें, ताकि जड़े मिट्टी में अच्छी तरह से जम जाए. बची हुई खाद रोपाई के 15 दिन 25 दिन और 45 दिन के अंतराल पर डालें. खाद डालने के बाद सिंचाई जरूर करें.
ब्रोकली खेती के लिए निराई -गुड़ाई (Weeding hoeing for brokli farming)-
पहली निराई गुड़ाई 15 दिन बाद और दूसरी निराई गुड़ाई 45 दिन बाद करें. 45 दिन के बाद निराई गुड़ाई करते समय पौधे पर मिट्टी जरूर चढ़ा दें.
ब्रोकली की खेती के लिए कटाई (Harvesting for brokli farming)-
ब्रोकली की कटाई के समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि फूलों की कली खिल न पाए. कली खिलने के पहले ही इसको तोड़ लेना चाहिए. दरअसल, फूल खिल जाएगा तो इसकी पत्तियां पीली पड़ जाएगी जिससे इसके फूल की सुंदरता और गुणवत्ता दोनों पर फर्क पड़ेगा. इससे मार्केट वैल्यू कम हो जाएगी. यदि आपने अच्छी किस्म का बीज तैयार किया है तो प्रति हेक्टेयर 120 से 150 क्विंटल की पैदावार ली जा सकती है.
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