भारत दुनिया का ऐसा देश है, जिसके सबसे बड़े क्षेत्रफल पर धान उगाई जाती है. धान को बीजाई और पौधरोपण के जरिए उगाया जाता है, लेकिन ज्यादातर किसान पौध तैयार करके ही धान की खेती करते हैं. ऐसे में आइये जानते हैं धान की नर्सरी कैसे तैयार करें? और इस दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखें..
धान की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Paddy)
धान की कई उन्नत किस्में है, जिनसे इसकी अच्छी पैदावार होती है. इनमें प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं. जैसे- पी-1460, आईआर-64, पीएचबी 71, जया, पूसा आरएच, तरावरी बासमती 1, पूसा सुगंध 2, पूसा सुगंध 3, पी 1121, पी 2511, रतना, विकास तथा माही सुगंधा आदि.
धान की नर्सरी कैसे तैयार करें? (How to Prepare Paddy Nursery?)
धान की नर्सरी तैयारी करने के लिए विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है. तो आइये जानते हैं धान की नर्सरी तैयार करने के प्रमुख चरण.
खेत का चुनाव तथा तैयारी (Field Selection and Preparation)
दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी धान की नर्सरी के लिए उपयुक्त होती है. नर्सरी लगाने के पहले खेत की दो से तीन जुताई करके मिट्टी को समतल और भुरभुरा बना लेना चाहिए. वहीं खेत में पानी की निकासी के लिए उचित इंतजाम होना चाहिए.
नर्सरी का समय (Nursery time)
धान की जो किस्में मध्यम से देर से पकती है, उनकी रोपाई जून के दूसरे सप्ताह में करना उचित होता है. वहीं देर से पकने वाली किस्मों की रोपाई जून के दूसरे से तीसरे सप्ताह तक करना चाहिए.
क्यारियां तैयार करना (Prepare the beds)
धान की नर्सरी क्यारियां बनाकर तैयार की जाती है. इसके लिए एक से डेढ़ से मीटर चौड़ी तथा चार से पांच मीटर लंबी क्यारियां तैयार करना पड़ती है.
नर्सरी के लिए बीज की मात्रा (Seed Quantity for Nursery)
क्यारियां तैयार करने के बाद उपचारित धान के बीज का प्रति वर्ग मीटर 50 से 80 ग्राम बीज का छिड़काव करना चाहिए. विभिन्न किस्मों के अनुसार प्रति हेक्टेयर 25 से 35 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. बता दें कि नर्सरी में तय दर के हिसाब से बीज डालना चाहिए. इससे पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है और पौधे खराब होने की संभावना कम हो जाती है.
बीजोपचार (Seed treatment)
धान की फसल को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए नर्सरी लगाने से पहले बीज को अनुशंसित दवाईयों से उपचारित कर लेना चाहिए. वहीं थोथे बीज को हटाने के लिए 2 फीसदी नमक के घोल में बीजों को डालें और अच्छी तरह से मिलाएं.
धान के बीज की बुआई की विधि (Method of Sowing Paddy Seed)
धान की बीजाई करने से पहले बीजों को अंकुरित कर लेना चाहिए. इसके लिए बीजों को जुट के बोरे में भर लें इसके बाद इसको 15 से 20 घंटों के लिए पानी में भीगने दें. इसके बाद बीजों को अच्छी तरह सुखा लें और फिर बिजाई करें. वहीं बिजाई के बाद पक्षियों से दो तीन दिनों तक बचाव करें जब तक की बीज उग न आए.
नर्सरी में खाद व उर्वरक का उपयोग (Use of manure and fertilizer in nursery)
पौधे के अच्छे विकास के लिए धान नर्सरी में प्रति 100 वर्ग मीटर में 2-3 किलोग्राम यूरिया, 3 किलोग्राम सुपर फास्फेट तथा 1 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करना चाहिए. कुछ दिनों बाद यदि पौधों में पीलापन दिखाई दे, तो 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा आधा किलोग्राम चूना लेकर 50 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
सिंचाई (Irrigation)
पौधों के अच्छे अंकुरण के लिए पानी की बेहद जरूरत होती है. बीजाई के समय क्यारियों में पानी नहीं होना चाहिए लेकिन तीन से चार दिनों बाद क्यारियों को तर रखना चाहिए. वहीं जब पौधा 5 सेंटीमीटर तक बढ़ जाए तब खेत में एक से दो सेंटीमीटर पानी भरकर रखना चाहिए.
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