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हरी पत्तेदार सब्जियों में फसल प्रबंधन कैसे करें?

हरी पत्तेदार सब्जियां शरीर को कई महत्वपूर्ण तत्व प्रदान करती हैं. इन सब्जियों में प्रोटीन, वसा, विटामिन बी-2 विटामिन सी, विटामिन के एवं खनिज पदार्थ जैसे लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस एवं रेसा प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहता है. हरी पत्तेदार सब्जियां बच्चों के अच्छे विकास व विशेषकर महिलाओं की गर्भावस्था (Pregnancy) के लिए अधिक उपयोगी होती है. देश में उगाई जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक, मेथी एवं चौलाई मुख्य हैं. इसके साथ ही मूली के पत्ते, सरसों के कोमल पत्ते, बथुआ की फसल भी सस्ती, शीघ्र पाचनशील, स्वादिष्ट, संतुलित व पौष्टिक होती है.

हेमन्त वर्मा
Spinach
Spinach

हरी पत्तेदार सब्जियां शरीर को कई महत्वपूर्ण तत्व प्रदान करती हैं. इन सब्जियों में प्रोटीन, वसा, विटामिन बी-2 विटामिन सी, विटामिन के एवं खनिज पदार्थ जैसे लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस एवं रेसा प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहता है. हरी पत्तेदार सब्जियां बच्चों के अच्छे विकास व विशेषकर महिलाओं की गर्भावस्था (Pregnancy) के लिए अधिक उपयोगी होती  है. देश में उगाई जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक, मेथी एवं चौलाई मुख्य हैं.  इसके साथ ही मूली के पत्ते, सरसों के कोमल पत्ते, बथुआ की फसल भी सस्ती, शीघ्र पाचनशील, स्वादिष्ट, संतुलित व पौष्टिक होती है.

हरी पत्तेदार सब्जियों की खेती के लिए जलवायु (Climate for cultivation of Green leafy vegetables)

ये फसलें देश के सभी जगहों में उगाई जाती हैं. ये सब्जियाँ दोनों मौसम खरीफ और रबी में आसानी से की जा सकती हैं.

हरी पत्तेदार सब्जियों के लिए मिट्टी का चुनाव (Selection of soil for Green leafy vegetables)

इनकी खेती सभी प्रकार की भूमि में आसानी से हो जाती है मगर बलुई दोमट मिट्टी मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है.

हरी पत्तेदार सब्जियों की उन्नत किस्में (Advanced varieties of Green leafy vegetables)

पालक (Spinach) – आलग्रीन, पूसा पालक, पूसा ज्योति, पूसा हरित, पूसा ज्योति, जोबनेर ग्रीन, HS-23

मेथी (Fenugreek)- पूसा अर्ली बंचिग, RMT-1, पूसा कसूरी, आर एम टी 143, हिसार सोनाली, हिसार सुवर्णा, हिसार माधवी, राजेंद्र आभा, यू एम 144, प्रताप राजस्थान मेथी (पी आर एम 45)

चौलाई (Amaranthus)- छोटी चौलाई, बड़ी चौलाई, कोयम्बटूर -1, कपिलासा, आर एम ए 4, अन्नपूर्णा,  सुवर्णा, पूसा लाल, गुजराती अमरेन्थ 2 है.

हरी पत्तेदार सब्जियों में खेत की तैयारी और बुवाई (Field preparation and sowing of Green leafy vegetables)

दो हल्की जुताई की बाद खाद बेखर कर पता चला देना चाहिए. मिट्टी को भुरभुरी कर देना चाहिए. बीजाई से पहले खेत में क्यारियाँ बनाकर हल्का सिंचित कर देना चाहिए. उसके बाद सब्जियों के अनुसार कतार से कतार व बीज से बीज की दूरी रखें. पालक के लिए कतार की दूरी 20 सेमी व पौधे की दूरी 3-4 सेमी रखनी चाहिए. इसी प्रकार मेथी 20-25 X 3-4 सेमी, चौलाई (छोटी) 20-25 X 4-5 सेमी व चौलाई (बड़ी) 30-35 X 4-5 सेमी रखी जाती है. बीजों को छिड़काव करके भी बीज बोया जा सकता है. 

हरी पत्तेदार सब्जियों की बुआई की विधि (Method of sowing Green leafy vegetables)

बीज बुवाई के लिए खेत में आवश्यकता अनुसार क्यारियां बना लें. तैयार खेत में पहले हल्की सिंचाई कर लें उसके 1-2 दिन बाद बीजों की बुवाई करें. सूखे खेत में बीज की बुवाई करने या बीज की बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करने पर मिट्टी बैठ जाती है. और अंकुरण अच्छा नही होता हैं. पत्तियों की कटाई जमीन की सतह से 3-5 सेमी. ऊपर से ही करें.

हरी पत्तेदार सब्जियों का पौध संरक्षण (Plant protection of Green leafy vegetables)

प्रमुख कीट (Major Insect)

एफीड (Aphid): पत्तियों से रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. फसल को इनसे बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP की 400 ग्राम या थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें.  

पत्ती छेदक कीट (Leaf caterpillar): पत्तियों को काट कर उपज कम करती है. पत्ती को खाने वाली लट्ट से निजात पाने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 0.5 प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव (Spray) करें. या जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

प्रमुख रोग (Major Disease)

आद्र गलन (Damping off): छोटे पौधों में यह रोग अधिक लगता है. यह रोग फसल में अधिक देर खेत में पानी ठहरने से हो जाता है. इसमें फंगस (Fungal) के कारण पौधे मरने लगते हैं और खेत खाली होने लगता है. यह रोग भूमि एवं बीजों के माध्यम से फैलता है. रोकथाम के लिए बुवाई से पूर्व बीजों को 3 ग्राम थायरम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार कर बुवाई करें. कार्बेन्डाजिम 50 WP 150 ग्राम या थियोफेनेट मिथाइल 70 WP 400 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. जैविक माध्यम से भी इसका उपचार संभव है इसके लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी (Trichoderma viridi) और सूडोमोनस फ्लुरोसेसस का 3 ग्राम प्रति लिटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

पत्ती धब्बा (Leaf spot): इस रोग के प्रकोप से पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है. फसल इससे नष्ट हो जाती है. बचाव के लिए मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.

पाउडरी मिल्ड्यू/ छाछया (Powdery mildew): इस रोग में पत्तियों पर सफेद चूर्णी धब्बे दिखाई देते हैं. रोग की रोकथाम के लिए प्रति 500 ग्राम घुलनशील सल्फर या थिओफिनेट मिथाइल 75 WP 300 ग्राम या प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें. 

हरी पत्तेदार सब्जियों की खेती में खाद एवं उर्वरक (Manure & Fertilizer of Green leafy vegetables farming)

बुवाई से पहले और अंतिम जुताई के समय 100 क्विंटल अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें. बुवाई के समय 25 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस तथा 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में मिलाकर बुवाई करें. प्रत्येक कटाई के बाद 25 किलो नाइट्रोजन छिड़काव करने से बढ़वार जल्दी और अधिक उपज प्राप्त होती है.

हरी पत्तेदार सब्जियों में सिंचाई व्यवस्था (Irrigation management in Green leafy vegetables)

सब्जियों की किस्म, जमीन में नमी और व मौसम को देखकर ही समय-समय पर सिंचाई करते रहें. रोपण किये गये पौधों की अपेक्षा पुराने पौधों को अपेक्षाकृत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है. खेत में उचित जल निकास प्रबंधन किया जाना चाहिए.

हरी पत्तेदार सब्जियों में खरपतवार प्रबंधन (Weed management in Green leafy vegetables)

क्यारियों से खरपतवार समय समय पर निकालते रहे ताकि फसल बढ़वार पर विपरीत असर न पड़ें और कीट- रोग से भी फसल बची रहे. इसके लिए हल्की निंदाई गुड़ाई की जाती है.

हरी पत्तेदार सब्जियों की कटाई और उपज (Yield and Crop harvesting of Green leafy vegetables)

बीज बुवाई के 25-30 दिन बाद पहली कटाई कर लें, बाद में 15-20 दिन के अंतराल पर कटाई करते रहें. अलग अलग फसलों में अलग-अलग पैदावार आती है. जैसे पालक की 4-8 कटाई करने पर 100-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज आती है. इसी प्रकार मैथी (Fenugreek) की 3-5 कटाई करने पर 80-100 क्विंटल और चौलाई की 6-7 कटाई पर 70-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज आती है.

हरी पत्तेदार सब्जियों को सुखाकर पूरे साल उपयोग में कैसे लें (How to dry green leafy vegetables and use it throughout the year)

पत्तेदार सब्जियां जब कम मूल्य पर हो तो इन्हे थोक में खरीद लेना चाहिए. इन्हे साफ कर 2 प्रतिशत नमक के घोल में डुबोकर धूप में किसी कपड़े पर फैला कर सूखा दें. जब यह पूरी तरह सूख जाये तो इन्हे हाथों से रगड़कर चूरा बना लें और इन्हे एअर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें. जब ताजा पत्तेदार सब्जी उपलब्ध न हो तब इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.

हरी पत्तेदार सब्जियों में लागत और मुनाफा (Cost and Profit)

मेथी में हरी पत्तियों की पैदावार करीब 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिलती है. अगेती किस्मों को उगाकर बाजारों में 3000 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल तक बेचा जा सकता है.  पत्तीदार मेथी की सामान्य बाजार कीमत 2000-2500 रुपए प्रति क्विंटल रहती है.   

सरकारी किस्म के बीज प्राप्त करने का स्थान और सम्पर्क सूत्र (Place to get government varieties seed & contact)

नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय या कृषि अनुसंधान केन्द्र से बीज के लिए संपर्क किया जा सकता है. दिल्ली में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) जाकर या 011- 25842686/ 25841428 पर या एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन सेंटर (ATIC) पर 011-25841670, 1800-11-8989 सम्पर्क किया जा सकता है.

English Summary: How to manage Green Leafy Vegetables Published on: 08 December 2020, 05:42 PM IST

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