मिट्टी की उर्वरक शक्ति, मिट्टी संरचना, कार्बनिक पदार्थ, सूक्ष्मजीवों की क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग फसल के लिए बहुत उपयोगी है. कम्पोस्ट बनाने के लिए मुख्यतः फसल के अवशेष, पशु का गोबर का प्रयोग किया जाता है और इसको गड्ढे में डाल कर सड़ाया जाता है. इस प्रक्रिया में ज्यादा समय लगता है और पोषक तत्वों का भी नुकसान होता है. इसलिए कम्पोस्ट बनाने के लिए केंचुआ का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे केंचुआ खाद या वर्मी कम्पोस्ट कहते है. केंचुआ जमीन में रहकर भूमि सुधारक का कार्य करता है. खेती में अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग होने से तथा कीटनाशकों के लगातार प्रयोग से केंचुओं की संख्या में भारी कमी आई है, जिससे मिट्टी अब अपनी उर्वरा शक्ति खो रही है. केंचुआ मिट्टी और कच्चे जीवांश को खाकर उसे महीन खाद में बदल देते हैं. केंचुओं से निर्मित खाद पोषक तत्व से भरपूर होती है और पौधें तुरंत ग्रहण करते है. जिससे पौधों की ग्रोथ अच्छी रहती है.
केंचुए की प्रजातियां
विश्वभर में करीब 4500 केंचुए की प्रजातियां पाई जाती है लेकिन दो प्रजातियां सबसे उपयोगी मानी गई है, जिनका नाम ऐसीनिया फोटिडा (लाल केंचुआ) और युड्रिलय युजीनी (भूरा गुलाबी केंचुआ) है.
केंचुआ खाद में पोषक तत्वों की मात्रा (The amount of nutrients in Vermicompost)
केंचुआ की खाद में पोषक तत्वो की संतुलित मात्रा होती है. केंचुआ खाद में नाइट्रोजन (1.2 से 1.4 प्रतिशत), फास्फोरस (0.4 से 0.6 प्रतिशत) तथा पोटाश (1.5 से 1.8 प्रतिशत) के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्व भी संतुलित मात्रा में होते हैं. केंचुए से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ एक अच्छी खाद का काम करता है.
केंचुआ खाद इस्तेमाल करने से फायदें (Benefits of using Vermicompost)
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केंचुआ खाद को मिट्टी/भूमि में मिलने से मिट्टी भुरभुरी और उपजाऊ बनती है जिससे पौधों का अच्छा विकास होता है.
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केंचुआ खाद मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाता है जिससे मिट्टी सुधार की प्रक्रिया तेजी आती है.
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केंचुआ खाद के उपयाग से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या और क्रियाशीलता बढ़ती है.
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केंचुआ खाद से पौधो को संतुलित और प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व मिलते है.
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केंचुआ खाद के प्रयोग से भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है और हवा संचार भी ठीक होता है.
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कूड़ा-करकट, गोबर और फसल अवशेषों से तैयार की जाने वाली केंचुआ खाद गंदगी को कम करके पर्यावरण को स्वच्छ बनाती है.
केंचुआ खाद बनाने की विधि (Method of Vermicompost)
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सबसे पहले कार्बनिक अवशिष्ट/ कचरे के बड़े ढ़ेलों को तोड़कर इसमें में से पत्थर, कांच, प्लास्टिक और अन्य धातुओं को अलग करें. फिर मोटे फसल अवशिष्टों के छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें ताकि खाद बनने में कम समय लगे. अगले चरण में कचरे से दुर्गंन्ध हटाने और अवांछित जीवों को खत्म करने के लिए कचरे को एक फुट मोटी सतह में फैलाकर धूप में सूखा लें.
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व्यवसायिक वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए लिए सीमेंट और इटों से पक्की क्यारियां बनाएं. प्रत्येक क्यारी की लम्बाई 3 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई 30-50 सेमी होनी चाहिए. क्यारियों को तेज धूप और वर्षा से बचाने और केंचुओं की क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए छप्पर और बोरी की टाटो से ढकें.
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क्यारियों को भरने के लिए पेड़-पौधों की पत्तियां, घास, सब्जी और फलों के छिलकें, फसल अवशिष्ट, गोबर आदि कार्बनिक पदार्थों का चुनाव किया जाता है. इन पदार्थों को क्यारियों में डालने से पहले ढेर बनाकर 7-10 दिन तक खुला छोड़ कर हल्का पानी डालें ताकि गोबर और अवशिष्ट पदार्थ से गर्मी बाहर निकल जाए. इसके बाद इस ढेर को क्यारियों में डाले और ऊपर लगभग 5 किलो केंचुए छोड़े कर बोरी की टाट से थक दें. एक वर्ग मीटर जगह के लिए 250 केंचुओं की जरूरत होती है. 15-20 दिन इस कचरे को ऊपर नीचे किया जाता है ताकी नीचे से भी खाद कम्पोस्ट होना शुरू हो जाए. हल्का सा पानी छिड़क कर क्यारी को बोरी या टाट से ढक देते है. नमी लगभग 60 प्रतिशत बनी रहनी चाहिए. अनुकूल नमी, ताप तथा हवायुक्त परिस्थितयों में 25-30 दिनों के बाद क्यारी या बैड के ऊपरी सतह पर 3-4 इन्च मोटी केंचुआ खाद इकट्ठा कर ली जाती है. ऐसा करने पर केंचुए क्यारी में गहराई में चले जाते हैं और खाद बनाना शुरू करते हैं. एक टन कचरे से 0.6 से 0.7 टन केंचुआ खाद प्राप्त हो जाती है. इस प्रकार 40-45 दिनों में लगभग 80-85 प्रतिशत केंचुआ खाद हासिल हो जाती है.
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इसके बाद हासिल की गयी केंचुआ खाद से केंचुए के कोकून और अव्यस्क केंचुओं को अलग कर लिया जाता है और नहीं खाये गये पदार्थों को 3-4 सेमी आकार की छलनी से छान कर अलग कर लेते हैं. अतिरिक्त नमी हटाने के लिए छनी हुई केचुआ खाद को पक्के फर्श पर फैला देते हैं. जब नमी लगभग 30-40 प्रतिशत तक रह जाती है तो इसे एकत्र कर बोरी में या प्लास्टिक थैले में भर लिया जाता है.
वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय रखें सावधानी (Caution while preparing vermicompost)
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क्यारियों या बैडों में केंचुआ छोड़ने से पहले अवशिष्ट पदार्थ को 7-10 दिन तक खुला छोड़ दें.
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अवशिष्ट पदार्थ या कचरे में गहराई तक हाथ डालने पर गर्मीं महसूस नहीं होनी चाहिए. ज्यादा ताप केंचुए के लिए नुकसानदायक रहता है.
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वर्मीकम्पोस्ट बनाते वक्त वर्मी बैडों या क्यारीयों में भरे अवशिष्ट पदार्थ या कचरे को हमेशा नम रखना चाहिए ताकि 30 से 40 प्रतिशत नमी बनी रहे. क्यारियों में नमीं कम या अधिक होने पर केंचुए ठीक तरह से काम नही करते.
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वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय वर्मी बैडों या क्यारीयों पर तेज धूप न पड़ने दें. तेज धूप पड़ने से कचरे का तापमान अधिक हो जाता है, जिससे केंचुए के मरने की संभावना बढ़ जाती है.
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क्यारियों या बैडों में ताजे गोबर का उपयोग नहीं करें. ताजे गोबर की गर्मी से केंचुए मर जाते हैं अतः उपयोग से पहले ताजे गोबर को 4-5 दिन तक खुला छोड़ दें.
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कचरे का पी.एच. 7.0 के आसपास रहने पर केंचुए तेजी से कार्य करते हैं. इसलिए कचरे का पी.एच. उदासीन बनाये रखने के लिए कचरा भरते समय उसमें राख मिला सकते हैं.
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केंचुआ खाद बनाने के दौरान किसी भी तरह के कीटनाशकों का उपयोग करने से बचें.
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वर्मीकम्पोस्ट बनाते समय वर्मी बैडों या क्यारीयों में खाद की हाथों पलटें, खुरपी या फावड़े का इस्तेमाल करने से केंचुओं को नुकसान हो सकता है.
केंचुआ खाद का भंडारण कैसे करें (How to store Vermicompost)
पहले केंचुआ खाद को छाया में सुखाएं और जब नमी 30-40 % तक रह जाए तो इसे बोरी में भरकर इकट्ठा कर लें. सूखने के पश्चात खाद को बोरे में एक साल की अवधि तक के लिए रखा जा सकता है.
केंचुआ खाद की खेत में प्रयोग विधि (Method of using vermicompost in field)
खेत में अंतिम जुताई के समय 20-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से केंचुआ खाद मिट्टी मिलाकर जुताई करें. निराई - गुड़ाई करते समय भी केंचुआ खाद पौधों की जड़ों में डाल सकते हैं. फलदार पेड़ों में 250-500 ग्राम प्रति थाला केंचुए की खाद का प्रयोग करें. अच्छे परिणाम के लिए केंचुआ खाद का इस्तेमाल करने के बाद कार्बनिक मल्चिंग या सूखी पत्तियों से ढक करना उचित रहेगा.
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