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फसलों का उत्पादन वैक्सीन के माध्यम से कैसे बढ़ाए

जैविक रूप में कई प्रकार के तरीके, विधियां या वेक्सिन उपलब्ध है जिनके कारण पौधों या फसलों की उपज में बढ़ोतरी होती है. इसे सैकड़ों बार प्रयोग करने के बाद मिट्टी में इसे सूक्ष्म जीव (Micro organism) खुद मल्टीप्लाइ होकर फसल को और मिट्टी को लाभ पहुंचाते रहते हैं. ये जैविक वेक्सिन या टीके इस प्रकार है.

हेमन्त वर्मा
Seed treatment
Seed treatment

जैविक रूप में कई प्रकार के तरीके, विधियां या वेक्सिन उपलब्ध है जिनके कारण पौधों या फसलों की उपज में बढ़ोतरी होती है. इसे सैकड़ों बार प्रयोग करने के बाद मिट्टी में इसे सूक्ष्म जीव (Micro organism) खुद मल्टीप्लाइ होकर फसल को और मिट्टी को लाभ पहुंचाते रहते हैं. ये जैविक वेक्सिन या टीके इस प्रकार है.

एजोला टीका (Azolla):

यह एक आदर्श जैविक प्रणाली है, जो धान के खेतों में नाइट्रोजन को उपलब्ध अवस्था (nitrogen fixation) में ला कर देता है जिससे फसल की उपज में मदद मिलती है. एजोला 10-12 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन का उत्पादन कर सकता है.

नील हरित शैवाल टीका (Blue green algae vaccine)

चावल की फसल के लिए फायदेमंद यह जैविक उत्पाद नाइट्रोजन के साथ-साथ यह कार्बनिक और पौधों के विकास के तत्व भी प्रदान करता है. एक एकड़ चावल की फसल के बीजों का उपचार करने के लिए 500 ग्राम का पैकेट पर्याप्त है. धान फसल के लिए 8-12 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ उपलब्ध कराता है.

कम्पोस्ट वैक्सीन (Compost vaccine):

इस टीकाकरण के उपयोग से 6 से 9 सप्ताह में चावल के भूसे से अच्छी खाद बनाई जा सकती है. यह प्रति एकड़ 20-40 किलोग्राम नाइट्रोजन का उत्पादन फसल के लिए करता है. एक पैकेट में 500 ग्राम मात्रा पाई जाती है जिससे खाद बनाने के लिए एक टन कृषि अवशेषों (agricultural residues) के लिए उपयोग किया जाता है.

हरी खाद (Green manure)

खेतों में कार्बोनिक की मात्रा बनाए रखने के लिए साल में एक बार हरी खाद उगाकर मिट्टी में जरूर मिलाएं. हरी खाद में दलहनी फसलें, पेड़ के पत्ते और खरपतवार को बुवाई के बाद उपयोग किया जाता है. दलहनी फसल में 10-25 टन हरी खाद का उत्पादन करता है, जिससे 25-40 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन का उत्पादन होता है.

ढैंचा (Dhaincha)

यह फसल 40-60 दिनों में मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. फसल में प्रति एकड़ 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन का उत्पादन होता है. ढैंचा की बुवाई के लिए, प्रति एकड़ 12-15 किलोग्राम बीज दर (seed rate) का उपयोग करें. 2-3 सिंचाई देकर ढैंचा अच्छी बढ़वार पा लेती है. इस प्रयोग के अलावा माइकोराइजा न्युट्रिलिंक वैक्सीन आदि का उपयोग भी फायदेमंद है.

राइजोबियम वैक्सीन (Rhizobium vaccine):

राइजोबियम का टीकाकरण दलहन, तिलहन और चारा फसलों (pulses, oilseeds and fodder crops) के लिए किया जाता है. यह प्रति एकड़ 20-40 किलोग्राम नाइट्रोजन का उत्पादन इससे होता है. यह फसल की उपज को 25-30% तक बढ़ा देता है.

एजोटोबैक्टर वैक्सीन (Azotobacter vaccine)

यह एक स्वतंत्र मुक्त जीवाणु है. इसका उपयोग गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, टमाटर, आलू, बैंगन, प्याज, कपास, सरसों आदि में किया जाता है. यह प्रति एकड़ 6-8 किलोग्राम नाइट्रोजन पैदा करता है. यह 10-20% तक फसल की उपज बढ़ाने में (increasing yield) मदद करता है.

एज़ोस्पिरिलम वैक्सीन (Azospirillum vaccine)

इसका उपयोग अनाज की फसलों जैसे चारा बाजरा, बाजरा, ज्वार, जई आदि है. यह चारा फसलों के लिए भी फायदेमंद है. यह प्रति एकड़ 6-8 किलोग्राम नाइट्रोजन का उत्पादन करता है और चारे की फसलों का उत्पादन बढ़ाता है.

फॉस्फोरस जीवाणु टीका (Phosphorus solubilizing bacterial vaccine):

पौधों के लिए फास्फोरस एक महत्वपूर्ण तत्व है. इसके (vaccination) उपयोग से अघुलनशील फास्फोरस, घुलनशील फास्फोरस में परिवर्तित हो जाती है जो पौधों के दाना निर्माण में सहायक है.

English Summary: How to increase crop production through vaccine Published on: 28 December 2020, 06:42 PM IST

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