चुकंदर एक औषधिय फल है. इसके स्वास्थ लाभ होने के कारण बाजार में इसकी मांग बहुत है. यह गहरे लाल रंग का होता है. इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन और काफी मात्रा में विटामिन्स पाए जाते हैं. चुकंदर को हम फल, सलाद, सब्ज़ी के रूप में उपयोग करते हैं. आइये आज हम आपको इसकी खेती से जुड़े तरीके के बारे मे बताते हैं.
खेती का तरीका
जलवायु
चुकंदर को ठंडी के मौसम का फल माना जाता है. हमारे देश में इसे नवम्बर और दिसम्बर के माह के बीच उगाया जाता है. हालांकि बदलते जलवायु को देखते हुए अब इसे हल्की गर्म जलवायु में भी उगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए 18 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सही होता है.
मिट्टी
चुकंदर के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. बलुई दोमट मिट्टी में चुकंदर के बीजों का अंकुरण तेजी से होता है.
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खेत की तैयारी
इसके खेत को तैयार करने के लिए तीन से चार बार गहरी जुताई करें और फसल के लिए उपयुक्त खाद का प्रयोग करें. चुकंदर की अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ के खेत में कम से कम 5 से 7 टन गोबर के खाद को मिला दें. अब खूब अच्छी तरह से बीज बोने के लिए क्यारियां बना लें.
रोग एवं कीट प्रबंधन
चुकंदर के खेत से खरपतवार हटाने के लिए महीने में खेत की एक से दो बार निराई और गुड़ाई ज़रूर कर देना चाहिए. अगर फसल में रोग लग जाए तो बाजार से केमिकल खरीद कर इसका छिड़काव करें.
कमाई
चुकंदर को पूरी तरह से तैयार होने में कम से कम 3 से 4 महीने लग जाते हैं. आप एक एकड़ के खेत में कम से कम 30 से 40 क्विंटल चुकंदर की पैदावार आराम से कर सकते हैं. बाजार में इसकी कीमत 40 रूपए से 80 रूपये प्रति किलो के बीच में होती है.
फायदे
चुकंदर एक जड़ वाली सब्जी है और इसमे बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं. चुकंदर विटामिन और आयरन से भरपूर होता है. यह हमारी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को सही करने में मदद करता है. चुकंदर हमारे शरीर के हीमोग्लोबीन की मात्रा को भी बनाए रखता है. यह ब्लड प्रेसर, खून की कमी, कोलेस्ट्राल लेवेल और महिलाओं में खून की कमी को बढ़ाने में मदद करता है.
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