कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में युवा कृषि से जुड़े हैं. शहर छोड़ गांव आए मजदूरों का एक तबका अभी भी दूसरे राज्य नहीं जाना चाहता है, तो यहीं समय है जब कृषि क्षेत्र में भारत अपनी धाक फिर से जमा सकता है. कोरोनाकाल में गाजर की खेती मोटी कमाई का जरिया बन सकता है. गाजर की खेती कई किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. इसे मंडी में बेचने पर सही दाम भी मिल जाता है. हालांकि, गाजर की उन्नत खेती के लिए किसान भाइयों को कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. इनमें खेतों की जुताई, गाजर की किस्में, खाद की मात्रा और सिंचाई शामिल हैं. तो आइए जानते हैं गाजर की खेती कैसे करें...
'गाजर की खेती मुख्य रूप से इन राज्यों में होती है' (Carrot is mainly cultivated in these states')
गाजर सब्जी और सलाद के रूप में प्रयोग की जानी वाली फसल है. इसकी मांग बाजार में अधिक रहती है. यूं तो गाजर की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है, लेकिन मुख्य रूप से इसकी खेती उत्तर प्रदेश, असम कर्नाटक, आंध्रप्रदेश पंजाब और हरियाणा में की जाती है. इन राज्यों के किसानों को इससे अच्छी कमाई भी हो रही है. गाजर को कच्चा और पकाकर दोनों तरह से उपयोग में लाया जाता है. गाजर का हलवा भी फेमस है, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं. गाजर में कैरोटिन और विटामिन ए पाई जाती है, जो मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है.
'गाजर की यूरोपियन किस्में और एशियाई किस्में' ('European varieties and Asian varieties of carrots')
गाजर की दो किस्में प्रचलित हैं. इनमें पहला यूरोपियन किस्म और दूसरा एशियाई किस्म है. यूरोपियन किस्म में जड़े लंबी और संतरे रंग की होती है. इनकी किस्मों में अर्ली नैन्टस, पूसा यमदाग्नि है. वहीं, इसकी औसत उपज की बात करें, तो यह 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वहीं, एशियाई किस्मों में पूसा मेघाली, पूसा केशर, गाजर नं 29 शामिल हैं. इसकी औसत उपज 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
'बीज की खरीदारी'
किसान भाइयों को बीज खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि बीज उन्नत किस्म की हो. बीज किसी विश्वसनीय और प्रमाणित संस्था से ही खरीदें. साथ ही बीजों को किड़े से बचाने के लिए दवाइयों का उपयोग करें. इसके बाद बीजों की बुआई करेंगे तो सही रहेगा. खेत में सही मात्रा में बीज देना भी एक चुनौती है. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. किसान भाई बीजों की बुआई मेड़ों पर करें.
गाजर की बुआई का समय (Carrot sowing time)
गाजर की खेती ठंडे मौसम में की जाती है. गाजर अधिक गर्मी को बर्दास्त नहीं करता है. हमारे किसान भाई एशियाई किस्मों की बुराई अगस्त से अक्टूबर तक, जबकि यूरोपियन किस्मों की बुराई अक्टूबर से नवंबर तक कर सकते हैं.
खेत की तैयारी कैसे करें? (How to prepare the field?)
गाजर की खेती के लिए किसान भाइयों को खेतों की तैयारी पर ध्यान देना जरूरी है. अगर खेत सही ढंग से तैयार होगा तभी फसल अच्छी होगी. साथ ही जल निकासी के लिए दोमट भूमि उपयुक्त मानी जाती है. किसान भाइयों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि जैविक पदार्थ अधिकांश मात्रा में हो. खेत की तैयारी के समय एक जुताई मिट्टी वाले हल से और दो जुताइयां देसी हल से कर सकते हैं. इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए.
खाद की मात्रा कितनी हो? (What is the quantity of manure?)
गाजर की बुआई के समय प्रति हेक्टेयर की दर से 20 टन सड़ी गोबर की खाद, 40 किग्राम यूरिया, 130 किलो ग्राम डीएपी और 40 किलोग्राम एमओपी का प्रयोग करें. इसके बाद जब 30 से 35 दिन की खड़ी फसल हो जाए तो उसमें 70 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें. अगर किसान भाई इन सभी बातों का ध्यान रख बुआई करते हैं, तो न सिर्फ उनकी फसल अच्छी होगी, बल्कि उन्हें बाजार में अच्छा भाव भी मिलेगा.
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