आलू एक सदाबहार सब्जी होती है. किसान इसकी खेती काफी बड़े मात्रा में कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. उत्तर प्रदेश का कन्नौज जिला भी आलू की खेती के लिए जाना जाता है और यहां के लगभग सभी किसान आलू की व्यवसायिक खेती करते हैं. यहां के किसान आलू के बेहतर उत्पादन के लिए सहफसली तरीके से खेती करते हैं, इससे आलू के पौधों को दूसरी फसल से सुरक्षा मिल जाती है और उनका उत्पादन भी बढ़िया हो जाता है. इस तरीके से खेती करने पर यहां के किसानों की पैदावार बेहतर होने लगी है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी है.
आप भी इस सहफसली तरीके से खेती कर आलू का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं. ऐसे में आइए आज हम आपको इसकी खेती के तरीके के बारे में बताते हैं-
क्या होती है सहफसली खेती?
सहफसली खेती में दो यानी मुख्य फसल एवं सहफसल की खेती एक साथ की जाती है. इन फसलों की खेती करते समय आप एक की किस्म की फसल की बुआई नहीं कर सकते हैं और इन दोनों फसलों का का पोषक तत्व ग्रहण का स्तर अलग हो और एक फसल की छाया दूसरी फसल पर बिल्कुल नहीं पड़नी चाहिए.
आलू की सहफसली खेती
आलू की बुवाई के साथ आप सब्जियों का चयन कर सकते हैं. उदाहरण के तौर लौकी, कद्दू, तोरई और नीबू जैसी फसलों के साथ आलू की सहफसली खेती की जा सकती है. इसमें आलू की फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है. सर्दियों में आलू की फसल पर पाला पड़ने का खतरा रहता है. ऐसे में सहफसली पौधों के पत्ते से आलू को सर्दी से बचाया जा सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, किसान अपने खेतों में पूरे मानकों को ध्यान में रखते हुए ही सहफसली फसल की खेती करें तभी आलू की पैदावार में बढ़ोतरी हो सकेगी.
ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़: भूपेश बघेल सरकार ‘न्याय योजना’ के तहत जारी करेगी 1895 करोड़ की तीसरी किस्त
तापमान की आवश्यकता
आलू की बुवाई के लिए न्यूनतम तापमान 23 डिग्री और अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस की जरुरत होती है. अक्टूबर के शुरुआती दिनों में तापमान में गिरावट रहती है इस समय बुवाई करने से आलू के बीज नष्ट होने की आशंका रहती है. आप मुख्य रूप से कुफरी, गरिमा, कुफरी ख्याति, अशोका, सूर्य और पुखराज जैसी आलू के किस्मों की खेती कर सकते हैं. यह प्रजातियां 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती हैं. आप अपनी मिट्टी का परीक्षण करने के बाद आलू की किस्म का चयन करें.
रोगों से बचाव
सर्दियों के मौसम में कोहरा पड़ने के कारण आलू की फसल में झुलसा जैसे रोग लग जाते हैं. ऐसे में किसान इस रोग से निजात पाने के लिए रीडोमील एमजेड-78 नामक दवा को दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं.
Share your comments