इन दिनों अगर आपने मटर की बुवाई की हुई है तो आपको फसल का खास ध्यान रखना पड़ेगा. मटर की अगेती किस्मों की खेती करने वाले किसान, जिन्होंने सितंबर में खेती की है, उन्हें फसल में लगने वाले कुछ खास कीटों के बारे में पता होना चाहिए. सही समय पर इन कीटों को नियंत्रित नहीं किया गया तो इससे किसानों को उत्पादन में काफी घाटा उठाना पड़ सकता है.
मटर में वैसे कई कीट फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन दिसंबर के महीने में ख़ास तौर से 'लीफ माइनर' (Leaf miner) कीट से पौधों को बचाना बहुत ज़रूरी है. आज हम इसी बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं कि किस तरह यह खतरनाक कीट मटर की फसल को प्रतभावित करता है और इससे किसान किस तरह अपनी फसल को बचा सकते हैं. इसके साथ ही हम मटर के बाकी कुछ प्रमुख कीट और उनके नियंत्रण के बारे में भी बताएंगे.
लीफ माइनर (Leaf miner)
लीफ माइनर को पत्ती सुरंगक कीट भी कहा जाता है. ये कीट दिसंबर महीने के आखिरी में अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर देते हैं. ये कीट आकर में बहुत ही छोटे होते हैं. पौधे की पत्तियों के अंदर जाकर लीफ माइनर सुरंग बनाते हैं. इनके प्रकोप से मटर के पौधों की निचली और बीच के हिस्से की पत्तियां खराब हो जाती है. दिसंबर से लेकर फरवरी महीने और मार्च के पहले हफ्ते तक इनका प्रकोप चरम सीमा पर होता है। कीट की वजह से बनने वाली पत्तियों पर सुरंग या छेद दोनों ओर ही होता है. इस कीट की वजह से पट्टियां अपना भोजन बनाने में असमर्थ हो जाती है और यही वजह है कि पौधों का विकास भी रुक जाता है. इसके साथ ही इस लीफ माइनर कीट की वजह से पौधों की पत्तियां सूख जाती है. इससे फूल और फल भी ठीक तरह से नहीं बनते हैं, जो बनते हैं उनकी संख्या भी बहुत कम होती है.
कीट से नियंत्रण (Pest control)
लीफ माइनर कीट के नियंत्रण के लिए किसान ट्राइजोफास 15 लीटर प्रति हेक्टेयर से या मिथाइल डिमेटोन एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ का छिड़काव कर सकते हैं.
फली छेदक (Pod borer)
यह कीट फरवरी महीने में मटर के पौधों पर अपना प्रकोप दिखाना शुरू करता है और अप्रैल तक यह जारी रहता है. फली छेदक कीट या हेलिकोवरपा आर्मीजेरा अंडे से निकली हुई सूंड़ी है जो अपने चारों ओर जाला बुनती है. यह कीट फलों में घुसकर उसे नष्ट कर देता है.ऐसे में मटर के दाने स्वस्थ नहीं हो पाते और बदरंग हो जाते हैं. साथ ही फलियों से दुर्गन्ध भी आने लगती है.
कीट से नियंत्रण (Pest control)
इस कीट के नियंत्रण के लिए किसान मेलाथियान 5 प्रतिशत या क्विनालफॉस 1.5 प्रतिशत डस्ट का 20 से 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं.
माहू (Mahu)
ये कीट पत्तियों और तनों का रस चूसकर शहद की तरह चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है. इसका प्रकोप जनवरी की शुरुआत से दिखना शुरू हो जाता है. इस कीट से बाद में पौधों में काली फफूंदी भी लग जाती है. इस कीट की वजह से पौधों में मटर की फलियां कम बनती हैं और पौधे भी छोटे रह जाते हैं.
कीट से नियंत्रण (Pest control)
इसके नियंत्रण के लिए किसान को रोगार या मिथाइल ऑक्सी डेमेटॉन की 2 मि.ली मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर दो बार प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. इस छिड़काव में 15 दिनों का अंतर होना चाहिए.
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