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High Yielding Potato Varieties: भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाती हैं आलू की ये 3 किस्में, जानें क्या हैं इनके फायदे

आज हम, आपको आलू की उन्नत किस्मों में तीन ऐसी वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी खेती किसान सबसे ज्यादा करना पसंद करते हैं. ये किस्में कुफरी थार 1, कुफरी थार 2 और कुफरी थार 3 हैं.

प्रबोध अवस्थी
आलू की उन्नत किस्में
आलू की उन्नत किस्में

Potato varieties: आलू की खेती उत्तर भारत के किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है. इसका कारण यह है कि यह क्षेत्र और यहाँ की जलवायु आलू की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है. लेकिन इसकी खेती करने के लिए भी किसानों को इसकी उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. उन्नत किस्मों की खेती करने से किसानों को लागत भी कम लगती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है. उन्नत किस्मों की सबसे ख़ास बात यह होती है कि इन किस्मों को कुछ इस प्रकार विकसित किया जाता है कि इनमें अन्य किस्मों की तुलना में बहुत कम रोग लगते हैं.

आज हम, आपको आलू की उन्नत किस्मों में तीन ऐसी वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी खेती किसान सबसे ज्यादा करना पसंद करते हैं. ये किस्में कुफरी थार 1, कुफरी थार 2 और कुफरी थार 3 हैं. 

आलू की किस्म- कुफरी थार 1

आलू की इस किस्म के पौधे लंबे और मजबूत होते हैं और इनमें पिछेती झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसके कंद सफेद, अंडाकार, उथली से मध्यम आंखों वाले, मलाईदार गूदा और अच्छी रखने की गुणवत्ता वाले होते हैं. यह उर्वरक के प्रति संवेदनशील है और मध्य गंगा के मैदानी इलाकों में कम पानी (= 20%) की उपलब्धता के तहत 30-35 टन/हेक्टेयर उपज देने में सक्षम है. इसके अलावा, यह भारत में पूर्वी-तट के मैदानों और पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की कमी की स्थिति में 16 टन/हेक्टेयर के साथ जल्दी पकने वाली किस्म (60-75 दिन) के रूप में भी उपयुक्त है.

आलू की किस्म- कुफरी थार 2

इसके पौधे मध्यम और मजबूत होते हैं और पछेती झुलसा रोग प्रतिरोधी होते हैं. यह किस्म आकर्षक, हल्के पीले, उथली आंखों और हल्के पीले गूदे वाले अंडाकार कंद पैदा करती है, इसमें 20-21% कंद शुष्क पदार्थ होते हैं और इसकी रखने की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. इसमें कम पानी की उपलब्धता (<20%) के तहत 30 टन/हेक्टेयर और सामान्य सिंचाई व्यवस्था के तहत 35 टन/हेक्टेयर तक उत्पादन करने की क्षमता है.

आलू की किस्म- कुफरी थार 3

आलू की यह किस्म 75 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. इस फसल के लिए सबसे ज्यादा अनुकूलित क्षेत्र हरियाणा, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ हैं. यह कम पानी में भी ज्यादा उत्पादन देने में सक्षम है और यह कम समय में में ही 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती हैं.

यह भी पढ़ें: टमाटर की ये किस्में एक हेक्टेयर में देंगी 65 क्विंटल की पैदावार, जानें भारत में कहां होती है सबसे ज्यादा पैदावार

किसान इन चुनिन्दा किस्मों के साथ अपनी  पैदावार को तो बढ़ा ही सकते हैं इसकी साथ ही अपनी आमदनी को भी बढ़ा सकते हैं.

English Summary: high yielding potato varieties, their names and their demand in the country kufri thar 1 kufri thar 2 and kufri thar 3 Published on: 28 October 2023, 01:32 PM IST

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