मध्य प्रदेश के भोपाल में पर्यावरण को बचाने की खातिर शहर के नगर निगम ने एक अनोखा प्रयोग शुरू किया है. इस प्रयोग की शुरूआत निगम ने अपनी चार इमली और किलोल नर्सरी से की है. यहां पॉलिथीन में पौधे रोपने के बजाय नारियल के खाली खोल में उनको रोपने का कार्य कर रही है.इसके लिए सबसे पहले नगर निगम नारियल पानी के ठेलों से इनको एकत्रित करता है और बाद में उनको रोपता है. ऐसा करने से दो तरह के फायदे हो रहे हैं. पहला- सड़क पर नारियल पानी के खाली खोल के कारण गंदगी नहीं होती है. तो वही दूसरी ओर पॉलिथीन के उपयोग में कमी भी देखने को मिलेगी. निगम ने इस तरह का कार्य आसपास की स्थित नर्सरी में भी शुरू किया है. शहर का निगम अमला अभी तक करीब 500 नारियल के खोल को विभिन्न ठेलों से एकत्रित कर रहा है.
हर साल रोपते ढाई लाख पौधे
नगर निगम पांचों नर्सरी में हर महीने करीब 20 हजार पौधे को रोपने का कार्य करता है. इसके लिए पॉलिथीन का उपयोग किया जाता है. ऐसे में निगम सालभर में ढाई लाख से ज्यादा पॉलिथीन का उपयोग पौधों को रोपने के लिए करता है. निगम नर्सरी में पौधे को उगाने के लिए हर साल करीब 25 हजार किलो पॉलिथीन को खरीदता है. इस तरह से निगम सालभर में ढाई लाख से ज्यादा पॉलिथीन का उपयोग पौधे को रोपने के लिए करता है.यदि नगर निगम का यह परिक्षण सफल रहता है तो पॉलीथिन के इस्तेमाल से बचा का सकता है.
कचरा नहीं, मिलेगी खाद
नारियल के खोल में पौधें को उगाने से दोहरा लाभ होता है. अभी पानी पीने के बाद नारियल को कचरे में फेंक दिया जाता है. इधर -उधर पड़ा हुआ नारियल महीनों तक नष्ट नहीं होता है. जबकि पौधे लगाने पर यह हमेशा गीला बना रहता है. इस तरह से जब भी पौधों को गमला और जमीन में रोपने पर खोल को जमीन में दबाने से 25 दिन में यह बेहतर उर्वरक के तौर पर काम करता है.
रोज बिकते 1000 से ज्यादा नारियल
शहर में हाथ ठेलों के अलावा कुछ दुकानों से भी नारियल पानी की ब्रिकी का कार्य होता है. एक दिन में अनुमानित एक हजार से ज्यादा नारियल बिक जाते हैं. निगम अभी इन शहर के अलग-अलग इलाकों में करीब 500 नारियल के खोल ही एकत्र कर पाता है. इसीलिए अगर कोई इसका उपयोग करना चाहता है तो वह ठेलों से नारियल के खोल को एकत्र कर लेता है. इससे काफी फायदा होता है.
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