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सर्पगंधा की खेती के सहारे प्राप्त करें दूरगामी फायदें

सर्पगंधा एक अंत्यत उपयोगी पौधा है. जोकि कई चीजों में काम में आता है. सर्पगंधा द्बीजपत्री औषधीय पौधा है. सर्पगंधा भारत और चीन में एक प्रमुख औषधि है.

किशन

सर्पगंधा एक अंत्यत उपयोगी पौधा है. जोकि कई चीजों में काम में आता है. सर्पगंधा द्बीजपत्री औषधीय पौधा है. सर्पगंधा भारत और चीन में एक प्रमुख औषधि  है. सर्पगंधा के पौधे की ऊंचाई मुख्यता 6 इंच से लेकर 2 फुट तक होती है. इसका तना एक मोटी खाल से ढका रहता है और यह गुच्छों में पाए जाते है. इसके फूल मुख्य रूप से गुलाबी और सफेद रंग के ही होते है. अगर आपको किसी भी रूप से सर्प काट जाए तो यह पौधा काफी उपयोगी होता है, क्योंकि जहां भी सर्प या बिच्छू ने आपको काटा है तो उस स्थान पर इसे लगाने से राहत मिल जाती है. इस पौधे की जड़, तना और पत्ती से कई चीजों का निर्माण होता है. इस पर अप्रैल से लेकर नंवबर तक लाल फूल लगते है. इसकी जड़े सर्पीली तथा 0.5 और 2.5 सेमी तक के व्यास की होती है. सर्पगंधा की जड़ों में काफी ज्यादा एक्ससाईड पाया जाता है जिनका प्रयोग रक्तचाप, अनिद्रा, उन्माद आदि रोगों में होता है. यह कुल 18 माह की फसल होती है. इसे दोमट मिट्टी से लेकर कुल काली मिट्टी में उगाया जाता है.

सर्पगंधा उगाने की तैयारी

इसकी जड़ों की अच्छी वृद्धि के लिए मई के महीने में खेत की गहरी जुताई करें और खेत को कुछ समय के लिए खाली छोड़ दें. जब पहली वर्षा तो खेत में 10 से 15 गाड़ी प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गोबर की खाद को डालकर फिर से जुताई कर दें. पानी के लिए नलियां बना दें. सर्पगंधा को बीजों के द्वारा उगाया जाता है.

सर्पगंधा की बीज द्वारा होती बुवाई

इसके अच्छे बीजों को काफी ज्यादा छिटकर बोया जाता है. अगर आपको अच्छे बीजों का चुनाव करना है तो उनको पानी में भिगों कर भरी बीज और हल्की बीज को अलग कर दिया जाता है.सर्पगंधा के 30 से 40 प्रतिशत बीज ही उगते है इसीलिए कुल 6-9 किलो बीज की जरूरत होती है. इसका बीज काफी महंगा होता है और नर्सरी में पौधा तैयार करना चाहिए. इसके लिए मई के पहले सप्ताह में 10 गुना 10मीटर की क्यारियों में पकी गोबर की खाद में डालकर छायादरा पौध को लगाना चाहिए.इनके बीजों को 2 से 3 मीटर पानी में नीचे लगाते है.

जड़ों की बुवाई

जब 5-6 सेमी जड़ों की कटिंग फार्म को खाद, मिट्टी और रेत में मिलकार बनाई गई क्यारियों में बंसत ऋतु में लगाया जाता है. इसे पानी में लगाया जाता है.  इनको 45 एक्स 30 के बीच की दूरी पर रोपित किया जाता है. एक हेक्टेयर में 100 किग्रा जड़ कटिंग की आवश्यकता होती है.

तने की बुवाई

तना कटिंग 15 से 22 सेमी को जून माह में नर्सरी में लगाते है. जब जड़ों व पत्तियों निकल आएं और उनमें अच्छी वृद्धि होने लगे तो कटिंग को निकालकर खेतों में लगाया जाता है.

खाद और सिंचाई

करीब 25 से 30 टन कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर से बढ़िया खाद तैयार हो जाती है. वर्षा जब होती है तब उन दिनों कम पानी और गर्मियों में  20 से 30 दिनों के अंतर में पानी देना चाहिए.

फसल प्रबंधन

सर्पगंधा की फसल 18 महीने में तैयार हो जाती है. इसकी जड़ों को काफी सावधानी से निकाला जाता है. बड़ी और मोटी जड़ों को अलग और पतली जड़ों को अलग कर देते है. बाद में पानी से धोकर मिट्टी को साफ किया जाता है. फिर 12 से 15सेंटीमीटर के टुकड़ों काटकर सुखा दें. सूखे जड़ों को पॉलिथीन में सुरक्षित रखा जाता है.

उपज

सर्पगंधा के एक एकड़ से 7- 9 क्विंटल शुष्क जड़ों आसानी से प्राप्त हो जाती है. सूखी जड़ों का बाजार भाव लगभग 150 रूपये किलो होता है. चूंकि जंगलों में यह विलुप्त हो रही है और तेजी से इसका प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है. अतः आने वाले समय में इसके बजार भाव में तेजी से हो रही है.

English Summary: Get the benefits of Sarpagandha farming with far reaching benefits Published on: 26 April 2019, 04:45 PM IST

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