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हल्दी की इस किस्म से सालभर कर सकते हैं खेती, मुनाफ़ा है बंपर

हल्दी की खेती अधिकतर खरीफ में की जाती है. देश के कई राज्यों में किसान हल्दी की खेती करते हैं. वहीं हल्दी की बुवाई अब किसान कभी भी कर सकते हैं. जी हाँ, हल्दी की उन्नत किस्म एनडीएच-98 के जरिये किसान सभी तरह की जलवायु में किसी भी राज्य में इसकी खेती पूरे साल कर सकते हैं.

सुधा पाल

हल्दी की खेती अधिकतर खरीफ में की जाती है. देश के कई राज्यों में किसान हल्दी की खेती करते हैं. वहीं हल्दी की बुवाई अब  किसान कभी भी कर सकते हैं. जी हाँ, हल्दी की उन्नत किस्म एनडीएच-98 के जरिये किसान सभी तरह की जलवायु में किसी भी राज्य में इसकी खेती पूरे साल कर सकते हैं. आज हम आपको इसी किस्म से हल्दी उत्पादन के सम्ब्नध में जानकारी देने जा रहे हैं. इस किस्म की शुरुआत राजस्थान से हुई थी. शोध निदेशालय के तहत सब्जी विज्ञान विभाग में इसे विकसित किया गया था. इसके कंद ज्यादा गहरे पीले होते हैं और इसकी बुवाई में भी ज्यादा उपज मिलती है. हल्दी की आधुनिक खेती में उचित फसल चक्र को अपनाना बहुत जरूरी है जिससे अच्छा उत्पादन मिल सके और किसान को मुनाफा भी बेहतर मिले.

हल्दी की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

खेती के लिए तापमान लगभग 35 डिग्री सेन्टीग्रेट और वार्षिक वर्षा 1500 मीटर मीटर या अधिक होनी उचित मानी गयी है. इसकी खेती रेतीली, मटियार, दुमट मिटटी में भी की जा सकती है जिसका पी.एच. मान 4 से 7.5 हो.

खेत की तैयारी

किसान मानसून की पहली वर्षा होते ही खेत तैयार कर लें. इसके लिए कम से कम खेत की चार बार गहराई जुताई करें. दोमट मिटटी में 500 किलोग्राम / हेक्टेयर की दर से चूने के पानी का घोल छिड़ककर जुताई करनी चाहिए. वर्षा होते ही तुरन्त लगभग एक मीटर चौड़ी ,15 से.मीटर ऊँचाई का बेड तैयार कर लें. इनके बीच की दूरी लगभग 50 से.मीटर हो.

बुवाई का तरीका

किसान हल्दी की बुवाई के लिए अपने क्षेत्र के मुताबिक क्यारियों तथा मेड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं. किसान अच्छी तरह विकसित और रोगरहित सम्पूर्ण या प्रकन्द के टुकड़े को बुवाई के लिए इस्तेमाल करें. 20 से 30 से.मी के अंतराल पर गड्ढे बनाएं और इन गड्ढों में अच्छी तरह गोबर की खाद या कम्पोस्ट भरकर उसमें बीज प्रकन्द को रखकर ऊपर से मिट्टी डालें. बुवाई के लिए 2,500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रकन्द बीज लिए जा सकते हैं.

खाद एवं उर्वरक

हल्दी की खेती करने वाले किसान नाईट्रोजन (50 किलोग्राम), फास्फोरस (40 किलोग्राम) और पोटाश लगभग 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लें. साथ ही बुवाई के समय 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिंक और जैविक खाद डालें.

सिंचाई

समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण के साथ ही किसान फसल की सिंचाई अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार करें.

English Summary: Get huge yield and profit in turmeric farming with ndh 98 variety Published on: 17 July 2020, 08:18 AM IST

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