एशियाई देश उज्बेकिस्तान (Asian Country Uzbekistan) से एक सबक लेते हुए गुजरात (Gujarat) सरकार ने स्वामित्व वाली बंजर भूमि (Owned Barren Land) पर लीज एग्रीमेंट पर बागवानी खेती (Horticulture Farming) के लिए एक बड़ा ऐलान किया है. जी हां, किसानों को बंजर ज़मीन पर 6 वर्षों तक फ्री में खेती (Farming for Free) करने के लिए राज्य सरकार ने कृषि विकास मिशन प्रोजेक्ट तैयार किया है.
50 हज़ार एकड़ सरकारी बंजर ज़मीन पर किसान कर सकेंगे खेती (Farmers will be able to do farming on 50 thousand acres of government barren land)
इस प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने के लिए 'मुख्यमंत्री बागवानी विकास मिशन' (Chief Minister Horticulture Development Mission) भी शुरू की गयी है, ताकि किसान आसानी से खेती का लुत्फ़ उठा सकें.
इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने शुरू में सुरेंद्रनगर, साबरकांठा, पाटन, कच्छ और बनासकांठा सहित पांच जिलों में 50,000 एकड़ बंजर भूमि की पहचान की है, जिससे किसानों को 'मुख्यमंत्री बागवानी विकास मिशन' के तहत पट्टे पर खेती (Farming on Lease) की अनुमति दी गयी है.
6 वर्षों के बाद बहुत ही कम किराये पर कर सकेंगे मुनाफे वाली खेती (Profitable farming at very low rent)
पहले पांच वर्षों के लिए, पट्टाधारकों को कोई कर या किराया नहीं देना होगा. छठे वर्ष से प्रति एकड़ 100 रुपये से 500 रुपये किराया उनसे वसूला जाएगा. जमानत राशि के हिस्से के रूप में, पट्टाधारकों को प्रति एकड़ 2,500 रुपये का भुगतान करना होगा और उनके लिए पट्टे की जमीन को पांच साल के भीतर विकसित करना अनिवार्य होगा.
किसानों को सरकारी और बंजर ज़मीन पर मिलेगी ये सुविधाएं (Farmers facilities on government and barren land)
गुजरात सरकार बंजर भूमि के पट्टाधारकों को ड्रिप स्प्रिंकलर फव्वारे (Drip Sprinkler Fountains), बिजली कनेक्शन (Electricity Connection) और यहां तक कि सौर ऊर्जा पैनलों (Solar Panels) की स्थापना के लिए प्राथमिकता सहायता प्रदान करेगी.
सरकारी और बंजर ज़मीन का लाभ कैसे लें किसान (How to take advantage of government and barren land)
आपकी जानकरी के लिए बता दें कि राज्य सरकार पहले ही राज्य कृषि विभाग के आई-खेतदूत पोर्टल (i-khetdoot portal) के माध्यम से भूमि आवंटन के लिए भूमि ब्लॉक की सूची डाल चुकी है. इस मिशन के तहत, एक आवेदक 30 साल के पट्टे पर न्यूनतम 50-हेक्टेयर (125 एकड़) से लेकर अधिकतम 1000-हेक्टेयर (400 एकड़) तक की बंजर भूमि के लिए आवेदन कर सकता है.
क्या है सरकारी और बंजर ज़मीन पर खेती का लाभ और लक्ष्य (What is the benefits and goal of farming on government and barren land)
लीजधारकों को केवल राज्य सरकार द्वारा पहचानी गई फसलों को ही उगाना होगा, क्योंकि मिशन का उद्देश्य मूल्यवर्धन के माध्यम से कृषि निर्यात को बढ़ाना है. विजय रुपानी का आगे कहना है कि "हम सरकारी बंजर भूमि पर लीज फार्मिंग के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर की उम्मीद कर रहे हैं".
पट्टाधारक ध्यान रखें ये बातें (Leaseholders keep these things in mind)
यदि कोई पट्टाधारक पट्टे की अवधि से पहले भूमि वापस करना चाहता है, तो उसे कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा. भूमि आवंटन प्रक्रिया की निगरानी स्वयं मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा की जाएगी.
संसाधनों वाले व्यक्तियों, कॉर्पोरेट और संस्थानों के लिए है पैसा कमाने का मौका (Opportunity to earn money for resourceful individuals, corporate and institutions)
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य की कुल 196 लाख हेक्टेयर भूमि में से 50 प्रतिशत (करीब 98 लाख हेक्टेयर) कृषि के लिए, 20.60 लाख हेक्टेयर बंजर और करीब 14 लाख हेक्टेयर सरकारी बंजर भूमि है. इन बंजर भूमि को कृषि योग्य भूमि में बदलने (Converting barren land into cultivable land) और इससे पैसा कमाने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों वाले व्यक्तियों, कॉर्पोरेट और संस्थानों के लिए यह पर्याप्त अवसर हैं.
सरकारी और बंजर ज़मीन पर खेती करने के लिए कैसे करें आवेदन (How to apply for farming on government and barren land)
यदि आपको इस मिशन का लाभ लेना है और फ्री में खेती (Free Farming Land) करने की चाह रखते हैं तो इसकी आधिकारिक वेबसाइट midh.gov.in पर जा सकते हैं.
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