Improved Varieties of Bottle Gourd: हमारे देश के किसान अपने खेत में कई तरह की बेहतरीन सब्जियों की खेती करते हैं. ताकि वह इसे अच्छी कमाई कर सके. इन्हीं सब्जियों में कुछ ऐसी भी सब्जी की खेती है, जिनकी खेती करके किसान साल भर अच्छी कमाई कर सकते हैं. जैसे कि कद्दूवर्गीय सब्जी लौकी आदि. बता दें कि लौकी की सब्जी ऐसी हैं, जिसकी खेती किसान तीनों ही सीजन जायद, खरीफ और रबी सीजन में कर सकते हैं. अगर आप हाल-फिलहाल में लौकी की खेती करने जा रहे हैं, तो लौकी की यह पांच किस्में अर्का बहार, अर्का गंगा, अर्का नूतन, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश और सम्राट अच्छा विकल्प साबित हो सकती है.
लौकी की यह किस्में लगभग 56 से 160 दिनों के अंदर पूरी तरह से तैयार हो जाती है. इन किस्मों की सब्जी की मांग भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेशों के बाजार में भी हमेशा ही बनी रहती है. आइए लौकी की इन बेहतरीन किस्मों के बारे में जानते हैं-
लौकी की पांच उन्नत किस्में/ Five improved varieties of bottle gourd
अर्का गंगा
अर्का गंगा किस्म की लौकी गोलकार और हरे हरे रंग की होती होती है. यह लौकी लगभग 56 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर लगभग 58 टन तक है.
अर्का बहार
इस किस्म की लौकी लंबी और सीधी होती है और यह हरे रंग की चमकदार पाई जाती है. अर्का बहार लौकी की किस्म प्रति हेक्टेयर 40-45 टन तक उत्पादन देती है.
अर्का नूतन
लौकी की यह किस्म बेलनाकार की होती है. अर्का नूतन करीब 56 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर लगभग 46 टन तक होती है.
पूसा संतुष्टि
इस किस्म की लौकी नाशपाती की तरह दिखाई देती है. यह लौकी बेहद ही ज्यादा चिकनी होती है. इस लौकी का वजन करीब 0.8 से 1.0 किलोग्राम तक होता है. पूसा संतुष्टि लौकी की किस्म की पैदावार क्षमता 25 से 29 टन तक होती है.
पूसा संदेश
लौकी की यह किस्म गहरे हर रंग की होती है. वहीं आकार की बात करें, तो यह आकार में चपटे और गोलाकार होती है. पूसा संदेश लौकी की वजन करीब 500 से 600 ग्राम तक पाया जाता है. इसकी पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर 32 टन तक है.
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सम्राट
लौकी की सम्राट किस्म 30 से 40 सेमी लंबी और आकार में बेलनाकार है. यह लौकी भी हरे रंग की होती है. लेकिन लौकी की यह किस्म बाकी लौकी के मुकाबले देर से पकती है. यह लौकी 150 से 180 दिन के अंदर पक जाती है. इसकी उत्पादन क्षमता लगभग 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है.
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