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धान की फसल के लिए वरदान है ये खाद, मिलेगा अच्छा उत्पादन, जानें तैयार करने की पूरी विधी

organic fertilizer: खरीफ सीजन के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और झारखंड में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. देश में लागातार खेतों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करने से मिट्टी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इससे मिट्टी में रहने वाले मित्र कीट मरने शुरू हो जाते हैं और मिट्टी का पीएच लेवल बिगड़ने लग जाता है.

मोहित नागर
धान की फसल के लिए वरदान है ये खाद (Picture Credit - FreePik)
धान की फसल के लिए वरदान है ये खाद (Picture Credit - FreePik)

Organic Fertilizer: भारत में धान यानी चावल की फसल खरीफ सीजन में की जाने वाली महत्वपूर्ण फसलों की खेती में एक है. दुनियाभर में इसकी खपत भी काफी अच्छी खासी है. खरीफ सीजन के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और झारखंड में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. देश में लागातार खेतों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करने से मिट्टी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इससे मिट्टी में रहने वाले मित्र कीट मरने शुरू हो जाते हैं और मिट्टी का पीएच लेवल बिगड़ने लग जाता है. बता दें, खेती के लिए मिट्टी का पीएच 7 से 7.5 होना चाहिए, यदि ये संतुलन होता है, तो इससे प्राप्त होने वाली उपज की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होती है. जिससे लोगों को गंभीर बीमारियां घेरने लग जाती है. इससे बचने के लिए किसानों को जैविक खेती की तरफ अपना रुख करना चाहिए.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए धान के खेत में कौन-सी खाद डालनी चाहिए.

यदि आप खेतीबाड़ी के साथ-साथ पशुपालन भी करतें हैं, तो आपको एक देसी गाय को भी पालना चाहिए. इससे आपकी पूरे साल खाद खरीदने की जरूरत खत्म हो जाती है. बता दें, देसी गाय के थोड़ें से ही गोबर में करोड़ों सूक्ष्म जीवाणु मौजूद होतो हैं, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए बेहद आवश्यक माने जाते हैं. देसी गाय के गोबर और मूत्र से आप कई तरह की खाद और कीटनाशक बना सकते हैं. यदि आप घन जीवामृत तैयार कर लेते हैं, तो ऐसे में आपको रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है.

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ऐसे तैयार करें घन जीवामृत खाद

घन जीवामृत को तैयार करने के लिए आपको लगभग 100 किलोग्राम देसी गाय का गोबर, 2 किलोग्राम गुड़, 2 किलोग्राम बेसन और 1 किलोग्राम पेड़ के नीचे की मिट्टी की जरूरत होती है. आपको इन सभी चीजों को लेकर एक मिश्रण बना लेना है. अब इस मिश्रण में आपको 5 लीटर गोमूत्र डालकर इसे अच्छी तरह से गूंथ लेंना है, जिससे घन जीवामृत बन जाए. इसके बाद, आपको घन जीवामृत के उपले बना लेने है और इन्हें किसी छांव वाली जगह में सुखा लेना चाहिए. किसानों का इसका उपयोग बुवाई के समय या फसल को पानी देने के लगभग 2 से 3 दिन बाद करना चाहिए. आप इस जैविक खाद को करीब 6 महीनों तक सुरक्षित रख सकते हैं.

घन जीवामृत का उपयोग

जब किसानों को घन जीवामृत का उपयोग करना होता है, तो इसके लिए सूखे हुए उपलों को पीस लेना होता है. इसके बाद, लगभग 250 किलोग्राम सड़े हुए गोबर से बनी खाद में एक क्विंटल घन जीवामृत को अच्छे से मिलाकर इस मिश्रण को धान की खेत में डाल देना है. आपको ध्यान रखना है, जब आप इसे धान के खेत में डाले उस वक्त खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.

उत्पादन में होगी अच्छी वृद्धि

घन जीवामृत खाद का धान के खेतों में इस्तेमाल करने का दूसरा तरीका भी है. आप इसके सूखे हुए उपलो को फलदार पेड़ या धान की फसल के नीचे लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर की दूरी पर रख सकते हैं, जिससे खेत में सिंचाई करने पर इसमें मौजूद सूक्ष्म जीव सक्रिय हो जाएंगे और पौधें इन्हें आसानी से ग्रहण करे लेगें. घन जीवामृत का धान की फसल में उपयोग करने से पौधों की अच्छी वृद्धि होती है और उत्पादन में भी बढोतरी देखने को मिलती है.

English Summary: fertilizer is a boon for the paddy crop get good production know complete method of preparing Published on: 12 June 2024, 05:50 PM IST

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